हाकिम साहब, जनता की टूट रही उम्मीदें, समस्या दूर करने में गुमला प्रशासन फेल

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला का हाल ठीक नहीं है. जनता समस्या से त्रस्त हैं. कोई उनका दुख दर्द सुनने वाला नहीं है. दूसरी तरफ नेता मस्ती में हैं. योजनाओं के उदघाटन व शिलान्यास में नेता मस्त हैं. अधिकारी अपने सरकारी कामों तक सिमट कर रह गये हैं. यहां तक कि जिले के हाकिम भी समस्या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2019 11:08 PM

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला का हाल ठीक नहीं है. जनता समस्या से त्रस्त हैं. कोई उनका दुख दर्द सुनने वाला नहीं है. दूसरी तरफ नेता मस्ती में हैं. योजनाओं के उदघाटन व शिलान्यास में नेता मस्त हैं. अधिकारी अपने सरकारी कामों तक सिमट कर रह गये हैं. यहां तक कि जिले के हाकिम भी समस्या दूर करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. समस्याओं से जूझ रही जनता किस द्वार जाये. उन्हें रास्ता नहीं दिख रहा. क्योंकि नेताओं को कोई मतलब नहीं. अधिकारी सुनने के बाद भी समस्या दूर नहीं कर पा रहे हैं.

अभी हाल में सुर्खियों में रही कुछ समस्याओं पर जिक्र करें तो गुमला की जनता बिजली संकट से हलकान है. नेता व अधिकारी जब नहीं सुने. तब चैंबर ने आंदोलन शुरू कर दिया. पालकोट में जनता रोड जाम कर चुकी है. भरनो, डुमरी व चैनपुर में भी आंदोलन की तैयारी है. यहां भी लोग सड़क पर उतरने के मूड में है.

इधर, गुमला में चैंबर ने प्रशासन व नेताओं के कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाते हुए अब कड़े तेवर अपना लिये हैं. ऐसे चैंबर के कड़े तेवर के बाद शहरी क्षेत्र में दो दिन से बिजली सप्लाई में कुछ सुधार हुआ है. लेकिन डुमरी व चैनपुर प्रखंड में तीन दिन से बिजली की कटौती कर दी गयी. जबकि डुमरी प्रखंड में ही सांसद व विधायक का घर है. लेकिन विभाग इन दोनों नेताओं के गृह क्षेत्र की जनता को बिजली के लिए तरसा रही है.

यहां तक कि भारत व पाकिस्तान के बीच हुए मैच का रोमांच भी इस क्षेत्र की जनता बिजली नहीं रहने के कारण नहीं ले सकी. डुमरी की जनता काफी आक्रोशित है. एक व्हाटसअप ग्रुप में लोगों ने क्षेत्र की समस्या का जिक्र किये हैं. बिजली के अलावा गुमला सदर अस्पताल की समस्या भी सुर्खियों में रही है. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन में हंगामा मचा हुआ है. लेकिन समस्या दूर करने की पहल नहीं हो रही है.

न ही गुमला के हाकिम, जिनपर जनता को विश्वास है. वे समस्या दूर करने की पहल कर रहे हैं. इस कारण हाकिम से लोगों की उम्मीदें टूटने लगी है. जबकि अस्पताल में छोटी समस्या है. जिसे दूर कर रोगियों को राहत दी जा सकती है. परंतु उन समस्याओं को दूर करने के बजाये लोग एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप मढ़ रहे हैं. कुछ दिन के बाद बरसात शुरू हो जायेगी.

गुमला शहर के कई इलाकों की सफाई नहीं हुई है. नालियों कचरा भरा हुआ है. कई इलाके जलमग्न हो जाते हैं. लेकिन बरसात से पहले इन समस्याओं को दूर करने की पहल नहीं की जा रही है. अगर समय पर समस्या दूर नहीं हुई तो दर्जन भर मुहल्ले के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ेगी. गुमला बस पड़ाव, जहां समस्याओं का अंबार है. उसका निराकरण नहीं हो रहा है. हर रोज सफर करने वाले करीब दो हजार से अधिक यात्री असुरक्षित हैं.

यहां तक कि रात में भी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. यह समस्या बराबर उठते रही है. लेकिन अभी तक बस पड़ाव की समस्या दूर करने की पहल हाकिम के स्तर से नहीं हुई है. न ही सुरक्षा का कोई प्रबंध बस पड़ाव में किया गया है. जबकि ईमानदारी से काम हो तो बस पड़ाव की समस्या दो दिन के अंदर दूर हो जायेगी. शहर में कई जगह सप्लाई पानी का पाइप लिकेज है. कई बार मरम्मत की मांग की गयी.

हाकिम को भी समस्या बतायी गयी. लेकिन हाकिम अपने कामों में मस्त हैं. इसलिए समस्या दूर नहीं हुई. शहर में कई जगह सड़क टूटी हुई है. उसे भी मरम्मत नहीं की गयी. जबकि टूटी सड़कों के कारण आये दिन हादसे हो रहे हैं. सोसो मोड़ के समीप सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं. परंतु हाकिम को उस टूटी सड़क पर नजर नहीं है.

यहां तक कि खुद अस्पताल गेट व समाहरणालय के समीप टूटी सड़क से गुजरते हाकिम अनजान हैं. इन समस्याओं के अलावा कई तकलीफों से लोग गुजर रहे हैं. अगर समस्या का निदान नहीं हुआ तो सिस्टम से लोगों की उम्मीदें टूट जायेगी. उम्मीद है. हाकिम साहब, गुमला की समस्या दूर करने में पहल करेंगे.

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