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गुमला : शहीद के घर शौचालय नहीं, आठ माह से शहीद की बेटी सरकारी बाबुओं का लगा रही चक्कर

दुर्जय पासवान, गुमला कई मामलों में आम जनता की समस्या दूर करने में गुमला प्रशासन नाकाम साबित रही है. अब शहीद के परिजनों को भी अपने कार्यालय का चक्कर लगवाने व समस्या दूर करने के नाम पर आश्वासन देने से बाज नहीं आ रही हैं. हम बात कर रहे हैं श्रीलंका में युद्ध के दौरान […]

दुर्जय पासवान, गुमला

कई मामलों में आम जनता की समस्या दूर करने में गुमला प्रशासन नाकाम साबित रही है. अब शहीद के परिजनों को भी अपने कार्यालय का चक्कर लगवाने व समस्या दूर करने के नाम पर आश्वासन देने से बाज नहीं आ रही हैं. हम बात कर रहे हैं श्रीलंका में युद्ध के दौरान 31 साल पहले शहीद हुए फेदलिस एक्का के परिवार की.

31 साल पहले श्रीलंका में शहीद हुए भारतीय जवान शहीद फेदलिस एक्का का परिवार वर्तमान में शासन-प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेलने को विवश हैं. शहीद के आश्रितों का अब तक शासन-प्रशासन के स्तर से न तो सुध लिया गया है और न ही किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मुहैया करायी गयी है.

शहीद फेदलिस एक्का की पुत्री पालकोट प्रखंड के देवगांव निवासी बसंती एक्का ने अपनी इस व्यथा को मंगलवार को एक बार पुन: डीसी के जनता दरबार में डीसी के समक्ष रखी है और सरकारी सुविधा मुहैया कराने की मांग की है. इस संबंध में बसंती ने डीसी को आवेदन दी है. बसंती ने बताया कि उसके पिता फेदलिस एक्का भारतीय जवान थे. जो 31 साल पहले श्रीलंका के में शहीद हो गये थे. परंतु आज तक आश्रितों को किसी प्रकार का सरकारी सहायता नहीं मिली है. उनके निधन के बाद शहीद के परिजन पिछले 31 सालों से गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं.

उम्मीद है, प्रशासन मदद करेगी : बेटी बसंती

वर्ष 2018 के नवंबर माह में जब शहीद फेदलिस एक्का का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन रहा था, तो शहीद की पत्नी व बेटी परेशान थी. कई बार प्रशासन के दरबार पहुंच प्रमाण पत्र की मांग कर चुकी थी. लेकिन प्रशासन परिवार को घुमाते रही. अंत में प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद गुमला डीसी ने पालकोट बीडीओ को आदेश देकर प्रमाण पत्र बनवाया था. बेटी बसंती एक्का ने कहा कि काफी प्रयास के बाद नवंबर माह में पालकोट प्रखंड कार्यालय से पिता (शहीद फेदलिस एक्का) का मृत्यु प्रमाण पत्र बना है.

बसंती ने बताया कि पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के दौरान प्रशासन द्वारा आवास व शौचालय की सुविधा मुहैया कराने और सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था. जो अब तक महज एक आश्वासन ही बना हुआ है. बसंती ने बताया कि वह स्टाफ नर्स का ट्रेनिंग कर चुकी है. यदि नौकरी मिल जाती है तो घर-परिवार के भरण-पोषण में सुविधा होगी.

फेदलिस 1987 में शहीद हुए थे

पालकोट प्रखंड के देवगांव बड़काटोली गांव के फेदलिस एक्का 1987 में शांति वार्ता के लिए श्रीलंका गये थे. जहां लिटटे से युद्ध के दौरान वे शहीद हुए थे. श्रीलंका के पेरियाविलम में 10 अक्तूबर 1987 को युद्ध हुआ था. युद्ध के दौरान फेदलिस को गोली लगी थी और वे शहीद हुए थे. उस समय शव को भारत लाना मुश्किल था. जिस कारण फेदलिस का वहीं अंतिम संस्कार कर दिया गया था.

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