कारगिल युद्ध में गुमला के तीन लाल हुए थे शहीद
जगरनाथ/जॉली गुमला : कारगिल युद्ध में गुमला जिले के तीन बेटे दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गये थे. इनमें शहीद जॉन अगस्तुस एक्का, शहीद बिरसा उरांव व शहीद विश्राम मुंडा शामिल हैं. जिले में आज भी इनका नाम सम्मान से लिया जाता है. हालांकि आज भी सरकारी महकमा में ये लोग गुमनाम हैं. भूतपूर्व […]
जगरनाथ/जॉली
गुमला : कारगिल युद्ध में गुमला जिले के तीन बेटे दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गये थे. इनमें शहीद जॉन अगस्तुस एक्का, शहीद बिरसा उरांव व शहीद विश्राम मुंडा शामिल हैं. जिले में आज भी इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.
हालांकि आज भी सरकारी महकमा में ये लोग गुमनाम हैं. भूतपूर्व सैनिक कल्याण संगठन गुमला के अध्यक्ष ओझा उरांव ने कहा कि गुमला से तीन बेटे 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. हम उन्हें नमन करते हैं. देश इन्हें कभी नहीं भूल सकता है.
दोनों बेटे को फौज में अधिकारी बनाने चाहते थे अगस्तुस : रायडीह प्रखंड के परसा तेलेया गांव निवासी जॉन अगस्तुस एक्का का शव शहीद होने के छह दिन बाद गुमला लाया गया था. शहीद की पत्नी इमिलियानी लकड़ा ने बताया कि जैसे ही अगस्तुस के शहीद होने की सूचना पहुंची, क्षेत्र का माहौल गमगीन हो गया था. शहीद का पैतृक गांव मातम में डूब गया था.
शहीद की पत्नी ने बताया कि उस समय मेरे दोनों बेटे छोटे थे, जिसकी मुझे चिंता सता रही थी. अगस्तुस देश के लिए शहीद हुए, परंतु उनके परिवार को जो सुविधा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली. परिवार आज भी सेना व सरकार की ओर से मिलनेवाली सुविधाओं से महरूम है. वर्तमान में शहीद जॉन अगस्तुस एक्का का परिवार गुमला शहर के दाउद नगर में रह रहा है. शहीद की पत्नी ने बताया कि जॉन अगस्तुस जवान से लांस नायक बने.
इसके बाद हवलदार रैंक तक गये थे, जिसमें उन्हें चार मेडल मिला था. उनका सपना था अपने दोनों बेटों को पढ़ा कर फौज में बड़ा अधिकारी बनाने का, लेकिन सपना अधूरा रहा गया.
नहीं मिल रही पेंशन : पत्नी के आधार कार्ड में टाइटल लकड़ा होने की वजह से मार्च 2018 से उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है. सरकार ने जमीन व घर देने का वादा किया था, लेकिन वह भी नहीं मिला.