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वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर विशेष : गुमला में तीन हजार से अधिक मानसिक रोगी, परंतु इलाज की व्यवस्था नहीं

दुर्जय पासवान, गुमला : झारखंड के गुमला जिले में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, गुमला जिले में तीन हजार से अधिक मानसिक रोगी हैं, परंतु इनके इलाज के लिए डॉक्टर नहीं है. यह स्थिति तब है, जब गुमला सदर अस्पताल परिसर में जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां लाखों […]

दुर्जय पासवान, गुमला : झारखंड के गुमला जिले में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, गुमला जिले में तीन हजार से अधिक मानसिक रोगी हैं, परंतु इनके इलाज के लिए डॉक्टर नहीं है. यह स्थिति तब है, जब गुमला सदर अस्पताल परिसर में जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां लाखों रुपये की दवा भी है, लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण न तो मानसिक रोगियों की जांच हो पा रही है और न ही दवा मिल रही है.

गुमला में मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना वर्ष 2009 में हुई है. अस्पताल बनने के बाद सप्ताह में रांची रिनपास से मनोचिकित्सक गुमला आते थे. यहां अस्पताल में जांच करते थे, लेकिन इधर बीते 10 मार्च, 2017 से रिनपास से चिकित्सक गुमला नहीं आ रहे हैं. इससे मनोरोगियों का इलाज नहीं हो रही है, जबकि 23 अक्तूबर, 2017 से लेकर अब तक कई बार गुमला के सीएस द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर मानसिक रोगियों की जांच के लिए डॉक्टर की मांग की गयी है, लेकिन अभी तक गुमला को डॉक्टर नहीं मिला है. इस कारण परेशानी हो रही है.

कहने को अस्पताल, सुविधा नहीं है : गुमला में कहने को मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. भवन चकाचक है. पर यहां जो सुविधा होनी चाहिए. वह नहीं है. तीन कर्मियों के भरोसे अस्पताल का संचालन हो रहा है. कर्मी बताते हैं कि अगर कोई मानसिक रोगी व विक्षिप्त आता है, तो स्थिति को देखते हुए रांची रेफर कर दिया जाता है. यहां बेड है, लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण किसी रोगी को भरती नहीं किया जाता है. कर्मियों को रोग की जानकारी नहीं होने के कारण रोगियों को दवा भी नहीं बांट रहे हैं. मानसिक चिकित्सक एक, साइक्लोजिस्ट एक, पीएसडब्ल्यू एक, नर्स एक, रिकॉर्ड कीपर एक, नर्सिग ऑडरली एक की जरूरत है. इसमें मात्र नर्सिंग ऑडरली, रिकॉर्ड कीपर व पीएसडब्ल्यू है. शेष पद रिक्त है.

गुमला में भटक रहे मानसिक रोगी : गुमला शहर में दर्जनों मानसिक रोगी हैं. जिन्हें सड़कों पर भटकते देखा जा सकता है. कुछ दिन पहने चार मानसिक रोगी भटकते हुए गुमला अस्पताल पहुंच गये थे. लेकिन इनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी. ये मानसिक रोगी कुछ दिन तक अस्पताल परिसर में भटकते रहे. इसके बाद पुन: कहीं भटक कर चले गये.

20 से 40 वर्ष के रोगी ज्यादा : गुमला में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की कर्मी की मानें, तो इसका मुख्य कारण नशापान के अलावा माहौल है. देखा जाये तो 20 से 40 वर्ष के रोगियों की संख्या अधिक है. लेकिन अब कम उम्र के भी मानसिक रोगी बढ़ने लगे हैं. इसका कारण बच्चे कम उम्र में ही गांजा पीने लगे हैं. नशेली पदार्थ का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादा नशा करने लगे हैं.

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