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#Jharkhand : शहीद की बेटी का सवाल- नक्सली बतायें, मेरे पिता का क्या था कसूर

गुमला : लातेहार जिला के चंदवा में नक्सली हमले में शहीद हुए दारोगा सुकरा उरांव का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव घाघरा प्रखंड के चुमनू गांव लाया गया. तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर घर के सामने जैसे ही रखा गया, उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े. पूरा गांव जय […]

गुमला : लातेहार जिला के चंदवा में नक्सली हमले में शहीद हुए दारोगा सुकरा उरांव का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव घाघरा प्रखंड के चुमनू गांव लाया गया. तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर घर के सामने जैसे ही रखा गया, उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े. पूरा गांव जय हिंद, भारत माता की जय, शहीद सुकरा उरांव जिंदाबाद के बोल से गूंज उठा. हर व्यक्ति की आंखें नम थी. शहीद के चचेरे भाई महापात्र उरांव ने बताया कि सुकरा उरांव पूरे परिवार में इकलौता कमाऊ बेटा था. उसके शहीद होने से पूरा परिवार टूट गया है. शहीद सुकरा उरांव की पांच बेटियां हैं. कोई भी बेटा नहीं है. एक बेटी मनीषा हजारीबाग में पढ़ाई करती है. वहीं चार बेटियां घाघरा के चिल्ड्रेन एकेडमी स्कूल में पढ़ाई करती है.

माओवादियों से बेटी ने किया सवाल

शहीद की सबसे छोटी बेटी अर्चना ने कहा कि माओवादियों पहले यह बता दो कि हमारे पिताजी का कसूर क्या था. क्या सिर्फ आदिवासी होना, नौकरी करना या लोगों की सुरक्षा के लिए रात-दिन घूमना. हम पांच बेटियों में बिना भेदभाव किये वे हमें पढ़ा रहे थे. यही कहकर पांचों बेटियां रो रही थी. शहीद की बड़ी बेटी मनीषा ने बताया कि उसके पिताजी चुनाव के बाद आने को कह कर गये थे.

1999 में पुलिस में भर्ती हुए थे सुकरा उरांव

सुकरा उरांव गांव का सुशील व्यक्तित्व वाला था. गांव के लोगों ने बताया कि वह फोरी हाई स्कूल से 1989 के मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद इंटर की पढ़ाई 1994 में सिसई कॉलेज से पूरी कियी. इसके बाद 1999 में संयुक्त बिहार में उसकी नौकरी लग गयी. वह नौकरी में चला गया. उसके शहीद होने की जैसे ही खबर आयी है, पूरा गांव दुखी है.

शहीद होमगार्ड जवान को दी गयी अंतिम विदाई
लेस्लीगंज : थाना क्षेत्र के नावाडीह तेनार निवासी और होमगार्ड के जवान चालक यमुना राम का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही महौल गमगीन हो गया. शनिवार को शहीद यमुना राम को श्रद्धांजलि देने गांव के सैकड़ों लोग मौजूद थे. लोग यमुना राम अमर रहे के नारे लगा रहे थे. यमुना राम 2005 में होमगार्ड में बहाल हुए थे. वह उस पीसीआर वाहन के चालक थे, जिस पर शुक्रवार को नक्सलियों ने हमला किया था. जिसमें वे शहीद हो गये. यमुना राम अपने पीछे दो पुत्र और एक पुत्री छोड़ गये हैं. पत्नी की एक वर्ष पूर्व में मौत हो चुकी है. लेस्लीगंज थाना प्रभारी बीरेन मिंज व पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में शहीद यमुना का दाह संस्कार किया गया.

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