बिशुनपुर विधानसभा: धीमा है चुनावी शोर, उम्मीदों का जोर हावी, स्थानीय मुद्दे गायब

-अमिताभ कुमार/ उत्पल कांत की रिपोर्ट- बिशुनपुर : महात्मा गांधी के अनुयायियों की धरती बिशुनपुर में इन दिनों चुनावी शोर उतना ज्यादा तो नहीं है, लेकिन डीजे युक्त प्रचार वाहन चुनावी माहौल बना रहे हैं. आचार संहिता का असर कहें या कुछ और मगर यह सच है कि इस क्षेत्र में कहीं भी चुनाव प्रचार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2019 2:46 PM

-अमिताभ कुमार/ उत्पल कांत की रिपोर्ट-

बिशुनपुर : महात्मा गांधी के अनुयायियों की धरती बिशुनपुर में इन दिनों चुनावी शोर उतना ज्यादा तो नहीं है, लेकिन डीजे युक्त प्रचार वाहन चुनावी माहौल बना रहे हैं. आचार संहिता का असर कहें या कुछ और मगर यह सच है कि इस क्षेत्र में कहीं भी चुनाव प्रचार सामग्री मसलन, पर्चे, पताके, झंडे- गमछे इत्यादि देखने को नहीं मिले. हां कुछ गांव में प्रत्याशियों के बैनर घरों पर लगे दिख जायेंगे. बिशुनपुर प्रखंड के गांवों में कोई भी व्यक्ति समस्या, सियासत और नेताओं के बार में चर्चा नहीं करना चाहता.

राज्य की राजधानी रांची से करीब सवा सौ किमी दूर बिशुनपुर विधानसभा में प्रथम चरण यानी 30 नवंबर को चुनाव है.नक्सल प्रभावित बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र और गुमला जिला अंतर्गत आता है. इस बात को यों समझ सकते हैं कि यहां 150 से भी ज्यादा मतदान केंद्र को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. प्रखंड मुख्यालय होने के कारण बिशुनपुर जिले की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी है. वैसे तो इस विधानसभा से 12 प्रत्याशी मैदान में हैं मगर टक्कर भाजपा प्रत्याशी अशोक उरांव और जेएमएम के चमरा लिंडा के बीच है. बता दें कि चमरा लिंडा यहां से सिटींग एमएलए हैं.

यहां कभी नक्सलियों को फरमान चलता था मगर अब स्थिति थोड़ी बदली है. यहां आने के बाद लोग आपकी ज्यादा पड़ताल नहीं करेंगे. अच्छी सड़कें हर बड़े गांव में मिल जाएंगी. हालांकि मेन रोड से इतर गांवों में सड़कों का अभाव है. गांवों में बिजली भी दिखेगी. खेतों में फसल लगी है पर अभी जब चुनावी सरगर्मी है तो हर ओर सन्नाटा है.

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