चुनाव में उठ रहे मुद्दे : जनता के सवालों के चक्रव्यूह में फंस रहे गुमला, सिसई व बिशुनपुर विधानसभा प्रत्याशी
दुर्जय पासवानगुमला : गुमला, सिसई व बिशुनपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए सभी प्रत्याशी मैदान में कूद चुके हैं. सभी क्षेत्र भ्रमण में है. कुछ प्रत्याशियों के लिए कई दिग्गज नेता गुमला पहुंच रहे हैं. वोट मांग रहे हैं. कुछ बड़े नेता गांवों में घूम रहे हैं, ताकि वोट प्राप्त कर चुनाव जीत […]
दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला, सिसई व बिशुनपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए सभी प्रत्याशी मैदान में कूद चुके हैं. सभी क्षेत्र भ्रमण में है. कुछ प्रत्याशियों के लिए कई दिग्गज नेता गुमला पहुंच रहे हैं. वोट मांग रहे हैं. कुछ बड़े नेता गांवों में घूम रहे हैं, ताकि वोट प्राप्त कर चुनाव जीत सके.
क्षेत्र दौरे में प्रत्याशियों व नेताओं को गांव के लोगों के सवालों को भी झेलना पड़ रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान कई जनमुद्दे भी उठ रहे हैं. इनमें गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने व अधूरी बाइपास सड़क का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. जहां भी नेता जा रहे हैं, लोग पूछ रहे हैं, कब गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ा जायेगा. शहर के लोग तो नेताओं से सवाल कर रहे हैं. अभी तक क्यों बाइपास सड़क नहीं बनी. जनता के उठते मुद्दे व सवालों से कई नेताओं के मुंह नहीं खुल रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में भी ये दोनों मुद्दे जोरदार तरीके से उठे थे, फिर विधानसभा चुनाव में यही मुद्दे उठ रहे हैं. वहीं सिसई क्षेत्र में भी कई स्थानीय समस्याओं को लोग उठा रहे हैं. बिशुनपुर क्षेत्र में एल्यूमीनियम कारखाना, अधूरे पुलों का मुद्दा उठाया जा रहा है. जनता के सवालों के चक्रव्यूह में प्रत्याशी फंस रहे हैं. कई नेताओं को जवाब नहीं सूझ रहा है, जिससे जनता नाराज है.
स्कूलों को मर्ज करने का भी मुद्दा है
गुमला विधानसभा क्षेत्र में बाइपास सड़क के अलावा अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड का विकास, अपरशंख जलाशय योजना, बेकार पड़ा मत्स्य कॉलेज, शहीद के गांवों का विकास के अलावा स्कूलों को मर्ज करने के मुद्दे उठ रहे हैं. बाइपास व रेलवे लाइन का मुद्दा हर चुनाव में उठता है, परंतु समस्या जस की तस है. इसके अलावा कई गांव है, जहां अभी तक सड़क नहीं बनी है. पूर्वी क्षेत्र के मुरकुंडा को प्रखंड बनाने व पुलिस पिकेट की स्थापना की मांग भी अधूरी है. यहां तक कि गुमला को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं देने का मुद्दा लोग उठा रहे हैं. व्यापारी भी अपनी समस्याओं को रख रहे हैं. शहरी क्षेत्र में बंद पड़ी खटवा जलापूर्ति योजना को भी लोग मुद्दा बना रहे हैं.
स्थापित नहीं हुआ एल्यूमीनियम का कारखाना
बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र में टोटो को प्रखंड बनाने की मांग लंबे अरसे से चल रही है. घाघरा प्रखंड में एल्यूमीनियम का कारखाना स्थापित करने, बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड के पहाड़ी इलाकों में पानी, बिजली, सड़क, शौचालय, रोजगार व शिक्षा की समस्या प्रमुखता के साथ उठ रही है. हालांकि एल्यूमीनियम के कारखाना स्थापना की मांग हर चुनाव में उठती रही है. नेता वादा कर वोट भी लेते रहे हैं, लेकिन अभी तक कारखाना स्थापना नहीं हुआ है. यहां तक कि आदिम जनजाति गांवों से लोगों का पलायन जारी है. इनके गांवों का भी विकास नहीं हुआ है. वहीं लोंगा पुल क्षतिग्रस्त होने से हो रही परेशानी को लेकर लोग इसे चुनावी मुद्दा बनाये हुए हैं.
करंज व पुसो पंचायत नहीं बना प्रखंड
सिसई विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा करंज व पुसो को प्रखंड का दर्जा नहीं मिलना है. कई सरकारें आयी और गयी, लेकिन इन दोनों पंचायतों को अभी तक प्रखंड का दर्जा नहीं मिला, जबकि सिसई से गुमला व गुमला से लेकर रांची तक इसकी मांग गूंज उठी है. परंतु नेता सिर्फ जनता को भ्रम में रख कर वोट लेते रहे. राज्य में जब झामुमो की सरकार थी, तो सबसे पहले पूर्व सीएम शिबू सोरेन ने दोनों पंचायतों को प्रखंड का दर्जा दिलाने का वादा कर चुके हैं. इसके अलावा बसिया व सिसई सड़क इसबार कई नेताओं को जनता के घेरे में खड़ा कर दी है. वहीं बसिया व कामडारा प्रखंड के कई गांवों में उग्रवाद भी चुनावी मुद्दा बन रहा हैं, जिससे लोग त्रस्त हैं.