आश्वासन देनेवाले नेताओं को सबक सिखाने के मूड में हैं वोटर
ब्लॉक की सुंदरता कर रही आकर्षिक, परंतु पेंशन नहीं मिलने से वृद्ध वोटर नाराज. गुमला : चुनावी बेला और गांवों का भ्रमण. एक अलग ही मजा व रोमांच होता है. गांव की दुर्दशा सामने आती है. वोटरों के मुंह से कई तरह की बातें निकलती है. नेताओं से नाराजगी दिखती है, तो नेताओं के कामों […]
ब्लॉक की सुंदरता कर रही आकर्षिक, परंतु पेंशन नहीं मिलने से वृद्ध वोटर नाराज.
गुमला : चुनावी बेला और गांवों का भ्रमण. एक अलग ही मजा व रोमांच होता है. गांव की दुर्दशा सामने आती है. वोटरों के मुंह से कई तरह की बातें निकलती है. नेताओं से नाराजगी दिखती है, तो नेताओं के कामों से कहीं लोग खुश नजर आते हैं. ऐसे ही चुनावी भ्रमण में मंगलवार को प्रभात खबर के प्रतिनिधि दुर्जय पासवान ने सिसई विधानसभा क्षेत्र के शहीद तेलंगा खड़िया की जन्म व कर्मभूमि पहुंचे.
कई गांवों के भ्रमण व लोगों से बात की. बातों ही बातों में कहीं नेताओं के प्रति नारागजी दिखी, तो कहीं खुशी. इस चुनावी बेला में शहीद व स्वतंत्रता सेनानियों की भूमि सिसई विधानसभा क्षेत्र राजनीति द्वंद्व का अखाड़ा बन चुकी है. इसी भूमि से होकर कोयल नदी की कल-कल करती धारा बहती है.
यह राजा दुर्जनशाल की भी भूमि है, जिसने मुगलों से बचने के लिए सिसई के नगर गांव में नवरत्न गढ़ जैसे ऐतिहासिक भवन बनवाये, जो आज विश्व धरोहर बन गया है. सिसई दौरा में सबसे पहले कोयल नदी पार की नागफेनी पहुंचे. उस समय 11 बज रहे थे. आगे बढ़ने पर दिन के 11.20 बजे शहीद तेलंगा के वंशज सोमरा पहान रास्ते में मिल गये. वे पशुओं को चराने जंगल जा रहे थे. कुछ देर उनसे बात हुई, तभी घाघरा गांव की मंगरी उराइन व घुड़ा उरांव पशुओं को हांकते आ रहे थे.
दोनों की उम्र 70 व 75 साल है. उनसे चुनावी हलचल के बारे में पूछा. मंगरी ने झट से कहा, हमरे मन वोट बैंक बन कर रह जाही. नेता मन सिर्फ वोट लेवेना. हमरे गरीब के पेंशन नी दिलवाय ना. घुड़ा ने कहा कि हमलोग वृद्ध हो चुके हैं. गरीबी में जी रहे हैं. पशुओं को चराते हैं. खेती करते हैं. उसी से जीविका चल रही है. वृद्धावस्था पेंशन के लिए कई बार आवेदन दिया, परंतु नहीं मिली. अब इसी प्रकार जी रहे हैं.
इसबार चुनाव में फिर वोट देंगे. घाघरा गांव की पथरीली सड़कों से निकलने के बाद खेत से होते हुए नेशनल हाइवे-43 पर पहुंचे. वहां से आगे बढ़े. कहीं किसी पार्टी का झंडा नजर नहीं आया. सिसई मुख्यालय पहुंचने पर वहां सभी दुकानों में भीड़ दिखी. कहीं चुनावी चर्चा नहीं थी, तभी ब्लॉक चौक के पास पहुंचे. वहां चमकते ब्लॉक भवन के सामने प्रखंड के कुछ पत्रकार साथी खड़े थे. चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा चल रही थी.
ब्लॉक की चमकती बिल्डिंग को देख कर मैंने पूछा कि इसकी चारदीवारी नहीं हुई है, तभी एक पत्रकार साथी ने कहा. चारदीवारी स्वीकृत है. चुनाव के बाद दीवार खड़ी हो जायेगी, तभी वहां झामुमो की बाइक रैली जिंदाबाद के नारे लगाते गुजरी. फिर थोड़ी देर में भाजपा की भी बाइक रैली गुजरी, परंतु इस प्रचार से जनता बेफिक्र है. जनता ने मन मस्तिष्क में बैठा लिया है कि उम्मीदवार और उनके समर्थक आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं़
चुनाव जीतने के बाद गांव में झांकने तक नहीं आते हैं़ यह जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं कि जनता किस हाल में हैं़ जनता के सामने समस्या धरी की धरी रह जाती है और लोग अपने को ठगा महसूस करते हैं़ बहरहाल आश्वासन देने वालों को चुनाव में सबक सिखाने के मूड में हैं़