दिल्ली व हरियाणा में बिकने से बचे नौ नाबालिग, सभी बच्चे कोरवा जनजाति व आदिवासी
दुर्जय पासवान, गुमला गुमला के नौ नाबालिग दिल्ली, मुंबई और हरियाणा में बिकने से बचे. इसमें छह लड़कियां व तीन लड़के शामिल हैं. इन लोगों के घर गुमला, घाघरा, बिशुनपुर और जारी प्रखंड हैं. मानव तस्कर इन बच्चों को प्रलोभन देकर बड़े शहर ले जा रहे थे. जहां इन लोगों को किसी के घर में […]
दुर्जय पासवान, गुमला
गुमला के नौ नाबालिग दिल्ली, मुंबई और हरियाणा में बिकने से बचे. इसमें छह लड़कियां व तीन लड़के शामिल हैं. इन लोगों के घर गुमला, घाघरा, बिशुनपुर और जारी प्रखंड हैं. मानव तस्कर इन बच्चों को प्रलोभन देकर बड़े शहर ले जा रहे थे. जहां इन लोगों को किसी के घर में घरेलू काम व कारखाना में काम करने के लिए बेचने वाले थे. परंतु उससे पहले रांची रेलवे चाइल्ड लाइन की सक्रियता से इन बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया.
सभी बच्चे दिसंबर माह के विभिन्न तिथियों को रांची और हटिया रेलवे स्टेशन से बरामद हुई थी. इसके बाद सभी को रांची प्रेमाश्राय में रखा गया था. गुमला में इन बच्चों के परिवार के घर की जानकारी मिलने के बाद मंगलवार को सभी बच्चों को गुमला लाया गया और चाइल्ड लाइन द्वारा इन बच्चों को सीडब्ल्यूसी गुमला को सौंप दिया. सभी बच्चों को अभी सीडब्ल्यूसी अपने संरक्षण में रखे हुए है.
वहीं, गुमला लाने के बाद सीडब्ल्यूसी की सदस्य कृपा खेस व सुषमा देवी ने बच्चों से पूछताछ की. सभी बच्चों का बयान लेने के बाद कागज पर हस्ताक्षर कराया गया है. बच्चों से बयान से पता चला है कि कई बच्चों को उनके ही रिश्तेदार जो मानव तस्करी का काम करते हैं. वे लोग बड़े शहर मुंबई, दिल्ली व हरियाणा ले जा रहे हैं.
इसमें सभी बच्चे आदिवासी और एक लड़की विलुप्त प्राय: कोरवा जनजाति की है. बच्चों ने कहा है कि उन्हें काम दिलाने और घूमने फिरने का प्रलोभन देकर बड़े शहर ले जाया जा रहा था. कुछ बच्चे गरीबी के कारण मानव तस्करों के बहकावे में आ गये थे. वहीं, कुछ बच्चे घूमने फिरने के चक्कर में मानव तस्करों के साथ दूसरे शहर जा रहे थे.
विशमंती है बड़ी तस्कर
बिशुनपुर प्रखंड की विशमंती क्षेत्र की बड़ी मानव तस्कर के रूप में उभर रही है. बताया जा रहा है कि यह पांच साल से दिल्ली में है. हर साल दिल्ली से वह बिशुनपुर प्रखंड आती है. इसके बाद चार से पांच बच्चों को दिल्ली में ले जाकर विभिन्न स्थानों पर बेच देती है. तेवरपानी गांव के तीन बच्चे जिन्हें मानव तस्कर के चंगुल से बचाया गया है.
उन बच्चों ने बताया कि विशमंती हर साल अपने गांव आती है. एक दो माह गांव में रूकती है. इसके बाद नाबालिग बच्चों का ठग कर उन्हें दिल्ली ले जाती है. इन बच्चों के अनुसार तेवरपानी, टुटवापानी, गढ़ाटोली सहित आसपास के 15 से 16 बच्चों को दिल्ली ले जाकर बेच चुकी है.
इधर, सीडब्ल्यूसी को भी विशमंती के बारे में जानकारी है. सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने कहा है कि अगर विशमंती के खिलाफ लिखित शिकायत आती है. तभी उसके खिलाफ गुमला पुलिस कार्रवाई कर सकती है.
अब कभी प्रलोभन में नहीं आयेंगे
जब बच्चों को बताया गया कि दूसरे शहरों में ले जाकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. गलत काम भी होता है. इसके बाद सभी बच्चों ने कहा कि अब वे किसी के प्रलोभन में आकर दूसरे शहर नहीं जायेंगे. कुछ लड़कियों ने पढ़ने की इच्छा जतायी है.
सीडब्ल्यूसी, गुमला की सदस्य कृपा खेस – रांची रेलवे स्टेशन से सभी बच्चों को मुक्त कराया गया है. इन्हें प्रेमाश्रय में रखा गया था. मंगलवार को गुमला लाया गया है. सभी से पूछताछ की गयी है. इनके परिजनों को सीडब्ल्यूसी कार्यालय बुलाया गया है. परिजनों से पूछताछ के बाद ही उनके बच्चों को उन्हें सौंपा जायेगा. अभी सभी बच्चे सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में रहेंगी.