दुर्जय पासवान, गुमला
वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में हारने के बाद भी झामुमो के भूषण तिर्की हताश व निराश नहीं हुए. वे जनता के बीच बने रहे. पार्टी को मजबूती प्रदान करते रहे. जनता के हर बुलावे पर वे पहुंचते रहे. यह जरूर था कि दो चुनाव हारने के बाद वे विधायक न बनकर वनवास काटते रहे. परंतु 2019 के चुनाव में भूषण तिर्की का वनवास खत्म हो गया और वे विधायक बन गये. श्री तिर्की ने भाजपा के मिशिर कुजूर को सात हजार 593 मतों से पराजित किया है.
श्री तिर्की ने इस जीत के साथ गुमला सीट से भाजपा के हैट्रिक जीत दर्ज करने के मंसूबों को भी फेल कर दिया है. अगर यह चुनाव भाजपा जीत जाती तो गुमला में भाजपा के जीत की हैट्रिक लगती. परंतु भूषण तिर्की की चुनावी रणनीति व जनता के बदलाव ने भाजपा को हरा दिया. इस विधानसभा से 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. जिसमें 10 उम्मीदवारों की बुरी तरह हार हुई है और जमानत जब्त हो गयी.
अगर प्राप्त वोटों पर नजर डालें तो तीन हजार 3261 मत प्राप्त कर नोटा तीसरे नंबर पर रहा. बाकी अन्य 10 उम्मीदवार तीन हजार वोट के आंकड़ा को भी छू नहीं सके. सबसे कम वोट जकापा के दीपक धनवार को 253 मत प्राप्त हुआ है. यहां तक कि झामुमो छोड़कर झापा में शामिल हुई सरोल हेमरोम की भी जमानत जब्त हो गयी. उसे 1224 मत प्राप्त हुए. वहीं, कांग्रेस छोड़कर जेवीएम में गये राजनील तिग्गा को 2491 वोट प्राप्त हुआ. ऐसे अंतिम क्षणों में श्री तिग्गा ने अपना चुनाव प्रचार धीमा कर दिया था. अगर वे लगातार मेहनत करते तो वे ज्यादा वोट ला सकते थे.
भाजपा के हार के कारण
भाजपा ने युवा जिला अध्यक्ष मिशिर कुजूर को टिकट दिया. श्री कुजूर युवा नेता हैं. क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. बहुत कम समय में जनता के दिलों में जगह बनायी है. परंतु श्री कुजूर को टिकट मिलने के बाद भाजपा के अंदरूनी खेमे में हलचल मच गयी. कई आदिवासी नेता जो विधायक बनने का ख्वाब देख रहे थे. उनके मन में तरह-तरह की बातें हलचल करने लगी. सभी के मन में एक ही बात थी कि कल का नेता तुरंत कैसे टिकट ले लिया.
अंदर की यही टीस व पूर्व विधायकों को टिकट नहीं मिलने से पनपी नाराजगी ने भाजपा की हार की कील शुरू में ही ठोक दी थी. गुमला ही एक ऐसी सीट थी, जिसमें अगर भाजपा मजबूती के साथ बिना भीतरघात के लड़ती तो यह सीट जीत सकती थी. परंतु गुमला सीट में खुलकर भीतरघात हुआ. कुछ लोगों ने अंदर ही अंदर वोटों को भी दूसरी पार्टी में कनभर्ट करा दिया. ऐसी चर्चा है. टिकट मिलने के बाद उम्मीदवार ने कई लोगों से व्यक्तिगत संपर्क नहीं किये. श्री कुजूर को लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में वे चुनाव जीत जायेंगे. यही सोच उन्हें हार की दहलीज तक पहुंचा दी.
अब जनता के लिए काम करना है : भूषण तिर्की
झामुमो के विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि गुमला की जनता भाजपा के कामों से उब चुकी थी. जनता बदलाव चाहती थी. बदलाव की इस कड़ी में जनता ने पूरे झारखंड राज्य में गठबंधन का साथ दिया है. गुमला, सिसई व बिशुनपुर सीट झामुमो जीती है. जनता ने झामुमो का पूरा साथ दिया है. जिसका परिणाम है. गुमला जिला की तीनों सीट से झामुमो जीती है.
उन्होंने कहा कि अब झामुमो का फर्ज बनता है कि गुमला के विकास के लिए काम करें. जनता से मैं वादा करता हूं. जाति व धर्म से ऊपर उठकर गुमला के विकास के लिए काम किया जायेगा. गुमला में जो काम नहीं हुए हैं. उन कामों को पूरा किया जायेगा. जनता के लिए मेरे दरवाजे खुले हुए हैं. कोई भी समस्या हो. मैं उन समस्याओं को दूर करूंगा.
उन्होंने कहा कि शहर से लेकर गांव तक जो भी समस्या है. उन समस्याओं को एक-एक कर दूर किया जायेगा. विकास के काम करने के लिए पांच साल काफी है. मैं जनता को विश्वास दिलाऊंगा. गुमला शहर की प्रमुख समस्या बाईपास हो या फिर पानी व जाम की समस्या. उन समस्याओं को दूर करेंगे. मैं जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जनता ने मेरा खुलकर साथ दिया. जिसका परिणाम है कि मैं गुमला सीट जीता हूं.
गुमला विस के उम्मीदवारों को प्राप्त वोट
पार्टी – उम्मीदवार – प्राप्त वोट
झामुमो – भूषण तिर्की – 67130
भाजपा – मिशिर कुजूर – 59537
जेवीएम – राजनील तिग्गा – 2491
भाकपा – विश्वनाथ उरांव – 1497
रादेपा – खुदी भगत दुखी – 1231
जकापा – दीपक धनवार – 253
भाट्रापा – नीलांबर प्रकाश भगत – 431
जदयू – प्रदीप उरांव – 289
झापा – सरोज हेम्ब्रोम – 1224
निर्दलीय – जीतू खड़िया – 536
निर्दलीय – प्लासिदियुस टोप्पो – 888
निर्दलीय – शंकर राम किसान – 1273
नोटा – 3261
नोट : इसमें बैलेट पेपर के मतों का जोड़ नहीं है.
गुमला विधानसभा सीट से अबतक के विधायक
वर्ष – विधायक का नाम – पार्टी
1951 – सुकरू उरांव – जेएचपी
1957 – सुकरू उरांव – जेएचपी
1962 – पुनई उरांव – जेपी
1967 – रोपना उरांव – जनसंघ
1969 – रोपना उरांव – जनसंघ
1972 – बैरागी उरांव – कांग्रेस
1977 – जयराम उरांव – निर्दलीय
1980 – बैरागी उरांव – कांग्रेस
1985 – बैरागी उरांव – कांग्रेस
1990 – जीतवाहन बड़ाइक – भाजपा
1995 – बेरनार्ड मिंज – झामुमो
2000 – सुदर्शन भगत – भाजपा
2005 – भूषण तिर्की – झामुमो
2009 – कमलेश उरांव – भाजपा
2014 – शिवशंकर उरांव – भाजपा
2019 – भूषण तिर्की – झामुमो