दुर्जय पासवान, गुमला
झारखंड राज्य गठन के 19 साल बाद 2019 में गुमला जिले में सबसे कम हत्या का रिकॉर्ड है. बहुत तेजी से हत्या का ग्राफ गुमला जिले में गिरा है. नक्सल व डायन बिसाही मामले में हत्याओं का ग्राफ गिरा है. हत्याओं में गिरता ग्राफ गुमला के अपराधमुक्त की राह में पुलिस की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अगर रिपोर्ट पर गौर करें तो सबसे अधिक नक्सली घटना कम हुई है. जिसके कारण हत्या में कमी आयी है.
वर्ष 2014 में नक्सली घटना में 18 लोगों की हत्या की गयी थी. वहीं पुलिस की कार्रवाई कारण 2019 में नक्सली घटना में मात्र तीन की जान गयी है. यानि की नक्सली घटना में हत्याओं का ग्राफ में भारी कमी हुई है. दिलचस्प आंकड़ा यह है कि वर्ष 2008 में सर्वाधिक 349 लोगों की हत्या हुई थी. वहीं ठीक 11 वर्ष बाद करीब 70 प्रतिशत हत्या का ग्राफ गिरा और 2019 में 125 लोगों की हत्या का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है.
गुमला एसपी अंजनी कुमार झा ने कहा है कि गुमला पुलिस की कार्रवाई व लोगों की जागरूकता के कारण कई मामलों में हत्याओं का ग्राफ गिरा है. हत्या में कमी आना, यानि गुमला जिले में अपराध में भी कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि पूर्व के वर्षो में जिस तेजी से हत्या होती थी. उन सब कारणों को देखते हुए पुलिस की कार्रवाई के बाद 2019 में हत्या का ग्राफ गिरा है. 2019 में विभिन्न घटनाओं में 125 लोगों की हत्या हुई है.
उन्होंने कहा है कि 2020 में हत्या का ग्राफ में और कमी आये. इसके लिए पूरी पुलिस टीम लगी हुई है. खासकर नक्सल घटना, डायन बिसाही व दहेज प्रताड़ना में हो रही हत्याओं में कमी लाते हुए इसे शून्य करना है. एसपी ने कहा कि गुमला में हत्या रुके. हर लोग सुरक्षित रहे. इसके लिए पुलिस काम कर रही है. आम जनता भी पुलिस का साथ दें.
2011 से हत्याओं का ग्राफ तेजी से गिरा है
वर्ष 1993 में नक्सली गुमला में घुसे. इसके बाद हत्याओं का ग्राफ तेजी से बढ़ा. झारखंड गठन के बाद से 2011 तक हत्याओं में इस प्रकार की तेजी आयी कि हर साल 200 से अधिक लोगों की हत्या होने लगी. 2011 के बाद से हत्याओं का ग्राफ गिरना शुरू हुआ. इसके बाद जो गिरावट आयी. 2018 में 137 व 2019 में 125 तक हत्या सिमट कर रह गयी. हत्याओं का ग्राफ कम होने का एक कारण यह रहा कि जगह जगह पुलिस पिकेट की स्थापना, कई नये थानों का खुलना, गांवों तक पुलिस की मूवमेंट होता रहा.
जिस कारण लोगों के मन में हत्या जैसे जघन्य अपराध करने के लिए डर पैदा हुआ. जिसका नतीजा है. हत्या का ग्राफ गिरा है. लेकिन गुमला जैसे ए श्रेणी नक्सल क्षेत्र में 2020 में हत्याओं के गिरते ग्राफ को बनाये रखने के लिए पुलिस को मेहनत करनी पड़ेगी. क्योंकि अभी नक्सली शांत हैं तो हत्या कम हो रही है. अगर ये लोग उग्र होंगे तो हत्या का ग्राफ बढ़ सकता है. इसलिए पुलिस को हर जगह चौकस होकर काम करने की जरूरत है.
हत्या में कमी आयी है
वर्ष – हत्या
2002 – 248
2003 – 310
2004 – 349
2005 – 308
2006 – 375
2007 – 293
2008 – 349
2009 – 310
2010 – 152
2011 – 203
2012 – 198
2013 – 189
2014 – 188
2015 – 174
2014 – 188
2015 – 174
2016 – 155
2017 – 139
2018 – 137
2019 – 125
छह वर्षो में हुई हत्या की सूची
अपराध 2014 – 2015 – 2016 – 2017 – 2018 – 2019
सामान्य हत्या 158 – 148 – 129 – 124 – 129 – 116
डायन हत्या 11 – 10 – 07 – 11 – 05 – 03
दहेज हत्या 01 – 03 – 02 – 00 – 02 – 03
नक्सल हत्या 18 – 13 – 17 – 04 – 01 – 03
टोटल 188 – 174 – 155 – 139 – 137 – 125
सात सालों में विभिन्न कांडों में दर्ज केस
वर्ष – दर्ज केस
2013 – 1229
2014 – 1368
2015 – 1515
2016 – 1251
2017 – 1233
2018 – 1327
2019 – 1271