नौ बजते गिर जाते हैं दुकानों के शटर
गुमला : अगर कोई बीमार है. स्थिति खराब है. रात को गुमला सदर अस्पताल लेकर गये. डॉक्टर ने जांच के बाद दवा लिख दी, तो फिर आपकी परेशानी बढ़ेगी. अगर अस्पताल में वह दवा मिल गयी, तो ठीक है. नहीं तो आपको परेशानी झेलनी पड़ेगी. क्योंकि रात को गुमला शहर में कोई भी दवा दुकान […]
गुमला : अगर कोई बीमार है. स्थिति खराब है. रात को गुमला सदर अस्पताल लेकर गये. डॉक्टर ने जांच के बाद दवा लिख दी, तो फिर आपकी परेशानी बढ़ेगी. अगर अस्पताल में वह दवा मिल गयी, तो ठीक है. नहीं तो आपको परेशानी झेलनी पड़ेगी. क्योंकि रात को गुमला शहर में कोई भी दवा दुकान नहीं खुलती है. इससे आपको इमरजेंसी में दवा नहीं मिलेगी.
रात नौ बजे के बाद सभी दवा दुकानों के शटर गिर जाते हैं. ऐसे में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बिना दवा दिये बचाना मुश्किल हो सकता है. गुमला में कोई ऐसी व्यवस्था भी नहीं है कि आपको कहीं से दवा मिल सके. जबकि गुमला में करीब 100 दवा दुकानें हैं. इसमें सभी दुकानें रात को बंद रहती है. इमरजेंसी में आप किसी दुकान से दवा भी नहीं ले सकते है. अगर आप किसी दुकानदार के घर का दरवाजा खटखटाते रहियेगा, तो भी मानवता के नाते दुकानदार दरवाजा नहीं खोलेगा.
गुमला की यह समस्या अक्सर मरीजों के साथ उत्पन्न होती है. एक व्यक्ति ने प्रभात खबर को मैसेज भेज कर इस ओर ध्यान दिलाया है. इसमें उन्होंने कहा है कि मेरे रिश्तेदार रात को बीमार हो गये. उसे अस्पताल ले गये. डॉक्टर ने दवा लिखी. परंतु वह दवा अस्पताल से नहीं मिली. अंत में एक दवा दुकान के शटर के पास जाकर खटखटाते रहें. पर दवा दुकानदार रात को नहीं जागा. अंत में रातों रात मरीज को रांची ले जाना पड़ा, तब कहीं उसकी जान बची.