दुर्जय पासवान, गुमला
प्रभात खबर में समाचार छपते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिये गये संज्ञान के बाद मंगलवार को मानव तस्करी की शिकार लड़कियों व उनके परिजनों को चाइल्ड लाइन ने सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया. सीडब्ल्यूसी ने सभी लड़कियों का बयान दर्ज करने के बाद डीसी शशि रंजन से मुलाकात करायी गयी. डीसी ने मानव तस्करी की शिकार लड़कियों व उनके परिजनों को जागरूकता का पाठ पढ़ाया.
उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी. अगर बेटी कहीं जा रही है, तो इसकी जांच पड़ताल करें. किसी के साथ ऐसे ही नहीं भेंजे. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि अगर आपको लगता है कि कोई मानव तस्करी का काम कर रहा है तो आप इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को दें. जिससे इसपर कार्रवाई की जा सके. गांव के लोगों के जागरूकता से ही मानव तस्करी को खत्म किया जा सकता है.
उन्होंने सभी लड़कियों से नाम व किस प्रकार तस्करी हुई, इसकी भी जानकारी ली. लड़कियों को प्रेरित करते हुए उन्हें आगे पढ़ाई करने की अपील की. डीसी ने कहा कि अगर आप सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में रहना चाहते हैं तो आपको बालगृह के हॉस्टेल में रखा जायेगा. इसके बाद प्रक्रिया पूर्ण कर सभी का कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूल में नामांकन कराया जायेगा.
डीसी ने यह भी कहा कि अगर लड़कियां सिलाई, कढ़ाई सीखना चाहती हैं तो इसकी भी व्यवस्था की जायेगी. ताकि आप हुनरमंद बनकर खुद का रोजगार भी कर सकती हैं. उन्होंने इंटर की डिग्री के बाद सभी को नर्स की ट्रेनिंग दिलाने का आश्वासन दिया. मौके पर डीसीपीओ संजय कुमार, सीडब्ल्यूसी सदस्य कृपा खेस, संजय भगत, सुषमा देवी, अशोक मिश्रा, चाइल्ड लाइन के बिंदेश्वर पासवान सहित कई लोग थे.
पुलिस नहीं करती कार्रवाई : पीड़ित
डीसी से मुलाकात के दौरान कुछ पीड़ित परिवार व एक एनजीओ के प्रतिनिधि ने कहा कि गुमला पुलिस मानव तस्करी के मामले में कार्रवाई करने से कतराती है. सूचना देने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती. यहां तक कि कुछ मामलों में लड़कियां वर्षों से गायब हैं. परंतु महीनों से गुमला पुलिस द्वारा दौड़ाया जा रहा है. पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही है. एक ही मामले में कई बार आवेदन अलग-अलग तरीके से लिखवाकर पुलिस ली है. इसके बाद भी केस दर्ज नहीं किया गया.
घुमाने की बात कही और दिल्ली में बेच दिया
मानव तस्करी की शिकार लड़कियों ने कहा कि हमें मानव तस्करों ने रांची में घुमाने की बात कहकर ले गये थे. इसके बाद रांची से ट्रेन में बैठाकर जबरन दिल्ली ले गये. इसके बाद अलग-अलग स्थानों पर सभी छह लड़कियों को घरेलू काम करने के लिए मानव तस्करों ने बेच दिया था. लड़कियों ने कहा कि अब हम कभी दिल्ली नहीं जायेंगे. अपने ही गांव में रहेंगे. लड़कियों ने पढ़ने की इच्छा जतायी है. जिससे वे अपनी अलग पहचान बना सकें.