कानाफुसी : उसकी जेब खाली कर अपनी भर लो

पांच साल में एक बार तो लूटने का समय आता हैदूसरे को लल्लू बना कर अपनी रोटी सेंक रहे हैंदुर्जय, गुमलाचुनावी बहार है. महापर्व से कम नहीं है. पांच साल में एक बार आता है. डेढ़ महीने तक पर्व का खुमार रहेगा. इस चुनावी बहार में कुछ लोगों (नेताओं) की खूब चल रही है. आखिर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2014 11:04 PM

पांच साल में एक बार तो लूटने का समय आता हैदूसरे को लल्लू बना कर अपनी रोटी सेंक रहे हैंदुर्जय, गुमलाचुनावी बहार है. महापर्व से कम नहीं है. पांच साल में एक बार आता है. डेढ़ महीने तक पर्व का खुमार रहेगा. इस चुनावी बहार में कुछ लोगों (नेताओं) की खूब चल रही है. आखिर पांच साल के बाद ऐसा समय आता है. इसलिए मौका क्यों गंवाये. प्रत्याशी का जेब खाली कर अपनी भर लो. कुछ इसी तरह का खेला गुमला में चल रहा है. कल तक पार्टी से कटे रहनेवाले नेता, आज चुनावी मौसम में पार्टी के नजदीक आ गये हैं. इतना ही नहीं पार्टी के सबसे हितैषी भी बन गये हैं. प्रत्याशी के इतने नजदीक हो गये हैं कि बिना कोई रायशुमारी के वे एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते हैं. इसी का फायदा कुछ नेता उठा रहे हैं. दूसरे को लल्लू बना कर अपनी रोटी अच्छी तरह सेंक रहे हैं. सवेरे सवेरे की बात है. हालचाल जानने शहर में निकले. तो एक नेताजी से भेंट हो गयी. उनका चेहरा कुछ लटका हुआ था. शुरू में लगा, सुबह का समय है. नींद से उठे होंगे. मुंह कान नहीं धोये हैं. इसलिए चेहरा लटका हुआ है. सड़क से गुजरते वक्त उसे टोक दिया. बात चली, तो वे अपने ही पार्टी के नेताओं के नाम लेते हुए उनकी अंदर की कहानी बताने लगे. उनका कहना था कि पार्टी का झंडा हम ढोयंे, परंतु जब मलाई खाय के समय आया, तो सभी पोस्टवा में अपना कब्जा जमा लिया. प्रत्याशी के पॉकेट से पैसा निकाल कर कुछ नेतवा अपने पॉकेट भरने में लग गये हैं. जीत-हार की बात ही नहीं हो रही. यहां खेल हो रहा है कि कितना इस चुनाव में कमा लेंगे. प्रत्याशी बेचारा. वोटवा की लालच में फंस गया है. कौन समझायेंगे ऐसे प्रत्याशी को कि वे जेब खाली करने वालों से बचें.

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