बॉक्स ::::: अपने पुराने गढ़ में घुसने लगे हैं माओवादी

गुमला, रायडीह, पालकोट व बसिया प्रखंड के कई इलाकों में संगठन विस्तार के लिए कर रहे बैठकपुलिस को इसकी भनक नहीं. शांति सेना व ग्रामरक्षा दल को बना सकता हैं टारगेटपूर्वी क्षेत्र में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजनादुर्जय पासवान, गुमलाभाकपा माओवादी फिर अपने पुराने गढ़ में घुसने लगे हैं. इतना ही नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2014 5:02 PM

गुमला, रायडीह, पालकोट व बसिया प्रखंड के कई इलाकों में संगठन विस्तार के लिए कर रहे बैठकपुलिस को इसकी भनक नहीं. शांति सेना व ग्रामरक्षा दल को बना सकता हैं टारगेटपूर्वी क्षेत्र में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजनादुर्जय पासवान, गुमलाभाकपा माओवादी फिर अपने पुराने गढ़ में घुसने लगे हैं. इतना ही नहीं तेजी से संगठन विस्तार भी कर रहे हैं. कई इलाकों में 15 से 20 की संख्या में माओवादी दस्ता घुस गये हंै. माओवादी उन इलाकों में घुस रहे हैं, जहां वर्षों पहले पुलिस दबिश के कारण उन्हें भागना पड़ा था. कई माओवादी कमांडरों ने आत्मसमर्पण भी किया था. परंतु पुन: माओवादी अपने पुराने तेवर में आने लगे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुमला, पालकोट, बसिया व रायडीह प्रखंड के कई गांवों में माओवादी घुस गये हैं. गांव के लोगों के साथ बैठक भी कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात की माओवादी गांव के पुरुषों को बैठक में आने नहीं दे रहे हैं. वे महिलाओं के साथ ज्यादा बैठक कर रहे हैं. गुमला प्रखंड के पूर्वी क्षेत्र में माओवादियों ने बैठक की है. वहीं से सटे बसिया प्रखंड के ममरला पहाड़ में भी बैठक हुई है. पालकोट के बघिमा पंचायत के लोग भी शरीक हुए थे. ये तीनों इलाका तीन प्रखंडों को जोड़ता है. घना जंगल व पहाड़ भी है. माओवादियों के लिए सेफ जोन भी है. इसलिए इन इलाकों में माओवादी ज्यादा सक्रिय हो रहे हैं. गुमला के केरकी महुआ टोली गांव जहां एक जमाने में माओवादियों का गढ़ हुआ करता था, पुन: यहां वे घुसने लगे हैं. रायडीह प्रखंड के रमजा गांव, कोब्जा, सुरसांग, लौकी, जमगई में जनहित क्रांति संगठन के सुप्रीमो मंगल नगेशिया के मारे जाने के बाद माओवादी अपना कब्जा कर लिये हैं. इन इलाकों में संगठन विस्तार का काम माओवादी कमांडर तिलकमैन साहू, खुदी मुंडा व यतीन जी कर रहा है. इन तीनों कमांडरों के इलाके में घुसने की जानकारी पुलिस को है. पर संगठन विस्तार के बारे में पता नहीं है. माओवादियों के इरादे भी नेक नहीं लग रहा है. वे कहीं न कहीं ग्राम रक्षा दल व शांति सेना को टारगेट बना सकते हैं. जबकि अभी विधानसभा चुनाव है. चुनाव को लेकर पुलिस अलग रूट में अभियान चला रही है. इसका फायदा माओवादी संगठन विस्तार में उठा रहे हैं.

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