गुमला: आज भी विकास की बाट जोह रहा है चामू उरांव का गांव, 1971 की युद्ध में अलबर्ट एक्का के साथ हो गये थे शहीद

1971 भारत पाक युद्ध नें गुमला पुग्गू घांसीटोली जन्मे चामू उरांव शहीद हो गये थे, लेकिन आज भी शहीद चामू उरांव गुमनाम अवस्था में है. विकास उनके गांव से कोसो दूर है. शहीद होने पर सेना ने अगरतल्ला में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 6, 2021 12:35 PM

गुमला : गुमला शहर से सटे पुग्गू घांसीटोली में जन्मे चामू उरांव 1971 के युद्ध में शहीद हुए थे. आज वे हमारे बीच नहीं हैं. परंतु आज भी उनके परिवार के लोग शहीद चामू को याद कर गर्व महसूस करते हैं. वीर शहीद चामू उरांव अब भी गुमनाम हैं. परिवार के लोगों से जो जानकारी मिली, उसके अनुसार 1971 के युद्ध में जब भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान की गुसवापाड़ा चौकी में हमला किया था. उस समय 12 जवान शहीद हुए थे. शहीद होने वालों में गुमला के चामू उरांव भी थे.

चामू उरांव के शहीद होने के बाद उनके शव को गुमला लाने की व्यवस्था नहीं हो पायी थी. जिस कारण दूसरे शहीद जवानों के साथ चामू उरांव के शव का अंतिम संस्कार युद्धभूमि में ही कर दिया गया था. देश के लिए जान देने वाले शहीद चामू उरांव आज भी गुमनाम हैं.

शहीद चामू उरांव के भतीजे विनोद उरांव ने कहा कि उनके बड़े पिता देश की खातिर दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. परिवार के लोगों ने कहा कि उनके बड़े पिता के शहीद होने पर सेना ने अगरतल्ला में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया था. बाद में सेना के लोगों ने घर आकर उनके शहीद होने की सूचना दी थी.

कुछ समय बाद सरकार की ओर से उनके दादा रामा उरांव (शहीद के पिता) के नाम पर टैसेरा बरगांव में पांच एकड़ जमीन दी गयी. उनके दादा को पेंशन भी मिलती थी. दादा के निधन के अब उनकी दादी मिठो उराइन को पेंशन मिलती था. दादी के गुजरने के बाद पेंशन बंद हो गयी. उन्होंने पुग्गू घांसीटोली में अपने बड़े पिता शहीद चामू उरांव की प्रतिमा स्थापित करने व गांव का विकास करने की मांग प्रशासन से की है.

Posted By : Sameer Oraon

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