प्रभात खबर पड़ताल : गुमला में राज्य परिवहन निगम की 26 बसें सड़ रही, डीसी ने दिया नीलामी का निर्देश
गुमला में 1990 व 1991 में राज्य परिवहन निगम की गाड़ियों की सड़कों पर अपनी धाक हुआ करती थी. गुमला के दुंदुरिया बस डिपो से निकलने वाली स्टेट बस कई राज्यों को एक साथ जोड़ती थी. लेकिन आज यह डिपो उजाड़ है. खंडहर हो गया है. भूत फिल्म की कहानी बयां करती है.
गुमला, जगरनाथ पासवान. बिहार से झारखंड राज्य क्या अलग हुई. राज्य परिवहन निगम की गाड़ियां चलनी बंद हो गयी. अब सभी गाड़ियां रखे-रखे सड़ रही है. आज से 32 साल पहले दुंदुरिया स्थित बस डिपो से 26 स्टेट बसें गुमला शहर से खुलती थी, जो रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, टाटा, पलामू तक की दौड़ लगाती थी. यहां तक कि बिहार, गया, डेहरी, उड़ीसा, राउरेकला, अलीपुर, छत्तीसगढ़, जशपुर, अंबिकापुर तक स्टेट बस की गाड़ी जाती थी. दुंदुरिया का डिपो स्टेट बस व यात्रियों से गुलजार रहती थी.
निगम की गाड़ियों की सड़कों पर धाक थी
गुमला में 1990 व 1991 में राज्य परिवहन निगम की गाड़ियों की सड़कों पर अपनी धाक हुआ करती थी. गुमला के दुंदुरिया बस डिपो से निकलने वाली स्टेट बस कई राज्यों को एक साथ जोड़ती थी. लेकिन आज यह डिपो उजाड़ है. खंडहर हो गया है. भूत फिल्म की कहानी बयां करती है. बिहार राज्य के समय सबकुछ ठीक ठाक था. लेकिन झारखंड गठन के बाद राज्य परिवहन निगम ठप हो गयी. इसके बाद 26 बसें बेकार हो गयी है. गाड़ी का ढांचा है. डिपो में पेट्रोल पंप, हवा भरने के मशीन, गैरेज कब्बाड़ हो गया है. बस डिपो का कार्यालय एक एक कर ध्वस्त हो रहा है. यहां कार्यरत पदाधिकारियों व कर्मचारी जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं उनकी बात सुनें, तो बिहार राज्य से झारखंड क्या अलग हुआ, स्टेट बसों का भविष्य चौपट हो गया.
1956 में परिवहन निगम शुरू हुई थी
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा संचालित बसें बंद होने से निजी बस मालिकों की चांदी हो गयी है. चूंकि बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा बस बंद होने से झारखंड सरकार द्वारा बस का परिचालन पुन: शुरू नहीं कराया गया है. जिसके कारण निजी बस मालिकों द्वारा मनमना भाड़ा लेकर यात्रियों को सफर कराया जा रहा है. यहां बतातें चलें कि गुमला में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम वर्ष 1956 ई से शुरू हुई थी. जिसमें 26 बसें चलती थी. जिसमें गुमला से पटना, गुमला से टाटा, गुमला से सिमेडगा, गुमला से डेहरी, गुमला से गया एवं दस वाहन गुमला से चैनपुर व डुमरी के रास्ते में चलती थी. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम में 200 कर्मी कार्यरत थे. जिसमें बस ड्राइवर, कंडेक्टर, मिस्त्री, ऑफिस कर्मी व खलासी थे. जिसमें सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
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वर्ष 2006 से बसें ठप है
परिवहन निगम के कुछ लोगों ने बताया कि बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा बसें गुमला से विभिन्न जगह चलती थी. लेकिन बिहार से झारखंड राज्य अलग होने के बाद वर्ष 2004 में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भी अलग हो गया. अलग होने के दो वर्ष के बाद वर्ष 2006 में बसें बंद करने का आदेश आया. उस समय मात्र दो बसे गुमला से पटना चलती थी.
बस डिपो का हाल
पांच एकड़ में स्टेट बस डिपो है. पेट्रोल पंप है. लेकिन बेकार है. जगह जगह छेद है. टिकट काउंटर व कर्मचारियों के बैठने के कार्यालय एक एक कर गिर रहा है. मैकेनिक रूम, इलेक्ट्रीक रूम, फोरमेन रूम, स्टोर रूम, टायर रूम, सेलभेज रूम, पेट्रोल रूम में सब बेकार पड़ा है. पानी टंकी भी बेकार है.
स्टेट बस में कम भाड़ा लगता था
स्टेट बस गुमला के लिए आराम दायक व सस्ता यात्रा था. निजी बसें गुमला से रांची 150 रुपये भाड़ा वसूलती है. लेकिन स्टेट बस टू बाई टू में 48 रुपये व थ्री बाई टू में मात्र 41 रुपये भाड़ा लगता था. जबकि गुमला से पटना का भाड़ा भी निजी बसों की तुलना में आधा लगता था.
मुख्य बातें
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गुमला से 26 स्टेट बसें चलती थी. कई राज्यों को जोड़ती थी.
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गुमला के बस डिपू में 200 से अधिक कर्मचारी काम करते थे.
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1956 ईस्वी में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम शुरू हुई थी.
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2000 के 15 नवंबर को बिहार से झारखंड राज्य अलग हुआ.
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2004 में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भी अलग हो गया.
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वर्ष 2006 में चलती बसों को बंद करने का आदेश सरकार ने दी.
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2006 के बाद एक-एक कर सभी स्टेट बसों को परिचालन ठप है.
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बस डिपू में बनेगा मैरिज हॉल, खेल मैदान और ओपेन जिम
उपायुक्त सुशांत गौरव ने बस डिपू का निरीक्षण किया
इधर, उपायुक्त सुशांत गौरव ने सोमवार को दुंदुरिया स्थित बस डिपू का निरीक्षण किया. बतातें चले कि बस डीपू लगभग चार एकड़ जमीन पर फैली हुई है. जहां काफी संख्या में पुराने बसों को जब्त कर रखा गया है. उपायुक्त के निर्देश पर हाल के महीने में ही बस डीपू का चहारदीवारी खड़ी कर घेराबंदी किया गया है. इधर, उपायुक्त ने बस डीपू का घूम-घूम कर बारीकी से जायजा लिया. उपायुक्त ने बताया कि बस डीपू की जमीन काफी लंबे समय से खाली पड़ी हुई है. जिसकी कोई उपयोगिता नहीं है. जमीन को आमजनों के उपयोग के लायक बनाया जायेगा. जमीन पर आमजनों के उपयोग के लिए मैरिज हॉल, खेल मैदान एवं ओपेन जिम बनाया जायेगा. ताकि स्थानीय लोग इससे लाभान्वित हो सके. वहीं उपायुक्त ने बस डीपू में रखे बसों को एक सप्ताह के अंदर नीलामी कराने का निर्देश दिया. कहा कि नीलामी के बाद जमीन पूरी तरह से खाली हो जायेगी. जिसके बाद जमीन पर निर्माण कार्य किया जा सकेगा. निरीक्षण में नगर परिषद अध्यक्ष दीपनारायण उरांव, प्रशिक्षु आईएएस सह प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद गुमला आशीष गंगवार, एडीपीआरओ एलीना दास, नगर परिषद के सिटी मैनेजर हिमांशु मिश्रा समेत अन्य शामिल थे.