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गरीबी + बेकारी + भुखमरी = पलायन

पालकोट प्रखंड के लोधमा गांव के 78 में से 50 परिवार का एक सदस्य बाहर है गांव में कोई काम नहीं है. हर महीने-दो महीने में पलायन कर रहे लोग लोधमा से लौटकर दुजर्य पासवान गरीबी + बेकारी + भुखमरी = पलायन : यह हाल गुमला जिला से 35 किमी दूर तपकारा पंचायत के लोधमा […]

पालकोट प्रखंड के लोधमा गांव के 78 में से 50 परिवार का एक सदस्य बाहर है
गांव में कोई काम नहीं है. हर महीने-दो महीने में पलायन कर रहे लोग
लोधमा से लौटकर दुजर्य पासवान
गरीबी + बेकारी + भुखमरी = पलायन : यह हाल गुमला जिला से 35 किमी दूर तपकारा पंचायत के लोधमा गांव (पालकोट प्रखंड) का है. गांव के 40 वर्षीय टुसू खड़िया घर में पत्नी व तीन बच्चों को छोड़ कर मजदूरी करने एक साल पहले मुंबई गया. टुसू के अलावा गांव के 50 से अधिक ऐसे लोग हैं, जो मुंबई, दिल्ली, असम में वर्षों से मजदूरी कर रहे हैं. लोधमा में कोई काम नहीं है.
इस कारण लोग हर महीने व दो महीने में गांव से पलायन कर रहे हैं. गांव में 78 परिवार हैं. इसमें 50 परिवार का कोई न कोई सदस्य बाहर है. कई ऐसे लोग हैं, जो पूरे परिवार के साथ बाहर चले गये हैं. टुसू की पत्नी आहमी खड़ियाइन ने कहा कि गांव में काम नहीं है. मनरेगा फेल है. सरकारी सुविधा नहीं है. इसलिए मेरे पति पैसा कमाने बाहर गये है. जाते-जाते टुसू ने कहा है कि ढेर पैसा कमा कर आयेंगे, तो खुशी पूर्वक रहेंगे और बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ायेंगे. आहमी ने कहा कि घर में कुछ चावल है. उसको खाकर तीन बच्चों के साथ किसी प्रकार जी रहे हैं. सरकार व प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं है.
पंचायत व रोजगार सेवक गांव नहीं जाते हैं: पंचायत सेवक, रोजगार सेवक व बीडीओ कौन हैं. गांव के लोग नहीं जानते हैं. क्योंकि अधिकारी गांव नहीं आते हैं. जबकि गांव तक आने के लिए पक्की सड़क है. लोधमा तपकारा पंचायत का राजस्व गांव भी है.
पलायन किये लोगों के नाम: गांव के प्रमोद गोप, एतवा खड़िया, ठेपा उरांव, शंकर उरांव, सुरेंद्र उरांव, बुद्धराम उरांव, कोन्दा उरांव, बुद्धेश्वर केरकेट्टा, नवकुंवर गोप, रविशंकर गोप, सुरेंद्र गोप, सुनील डुंगडुंग सहित 50 लोग हैं, जो गरीबी व बेकारी के कारण पलायन किये हैं. इसमें कोई एक साल, दो साल, तो कोई पांच व दस साल से प्रदेश में है. कई लोगों का तो वर्षो से पता नहीं है. कहां गये, क्या कर रहे हैं. परिजन भी उनके लिए परेशान हैं.

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