सिसई : प्रकृति ने किसानों को वरदान स्वरूप कुसुम, पलास व बेर का वृक्ष दिया है. जहां लाह की खेती पर्याप्त मात्र में होती है. सिसई के नगर पंचायत के गांव भी लाह खेती के लिए उपयुक्त है.
इसका लाभ उठाते हुए खेती के साथ लाह उत्पादन करें और समृद्ध आय का साधन बना कर क्षेत्र से पलायन को रोकें. उक्त बातें शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने प्रस्तावित उच्च विद्यालय नगर सिसकारी में आयोजित लाह उत्पादन लाभुक प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन के अवसर पर रविवार को कही. कहा कि क्षेत्र में पारंपरिक रूप से लाह की खेती की जाती है.
अब विशेष केंद्रीय सहायता योजना अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण देने का प्रयास किया गया है. इसका लाभ सभी को उठाने की जरूरत है. बुजुर्ग किसानों के मार्ग दर्शन पर युवा वर्ग खेती व लाह उत्पादन के साथ व्यावसायिक खेती में भी ध्यान दें. उन्होंने कहा कि हमारे युवा पढ़ाई छोड़ समाज से भटक रहे हैं, जो उनके जीवन में अंधेरा ला रहा है.
युवा शिक्षा, खेलकूद एवं खेती के माध्यम से व्यक्ति विकास एक सामाजिक समरसता ला कर राज्य, देश का नाम रोशन कर सकते हैं. हमारी परंपरा, संस्कृति, चलना, नृत्य और बोलना गीत है. इसे संजो कर रखने के लिए क्षेत्र में कला संस्कृति केंद्र बनेगा, जो धुमकुड़िया की तरह गांव में उपयोग होगा. पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए हर व्यक्ति को पेड़–पौधा से प्रेम करना होगा. उसे बचाना होगा.
साथ ही हर जन्म दिन पर हर लोगों को प्रति वर्ष वृक्ष लगाना चाहिए. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष गंगा उरांव ने विषय वस्तु से अवगत कराया. वहीं आदिवासी महिला समाज सेवा केंद्र के उपाध्यक्ष निर्मला सिन्हा ने स्वागत भाषण दी. प्रशिक्षक के रूप में भारतीय रॉल एवं गोंद संस्थान नामकुम के सदस्य आये.
मौके पर भैरव सिंह, दीप नारायण उरांव, जिप सदस्य बॉबी भगत, गंगा उरांव, निर्मला देवी, दिलीप कुमार सिंह, चैतन्य कुमार गंझू, बीडीओ, बीइइओ, प्रमुख शनियारो देवी, मुखिया रवि उरांव, सावित्री देवी, रामेश्वर साहू, सफीक अंसारी, वन बिहारी भगत, रजब अंसारी, जितेंद्र साहू आदि उपस्थित थे.