लीड ::7:: घर में पानी पाकर खुश हैं ग्रामीण
लीड ::7:: घर में पानी पाकर खुश हैं ग्रामीण अभी भी अधूरे पड़े हैं जिले में कई जलापूर्ति योजना फोटो- एलडीजीए-5 नंदा महतो, एलडीजीए-6 गालो उरांव, एलडीजीए-7 जितराम उरांव, एलडीजीए-8 मनोज भगत,एलडीजीए-9 मनराज पहान. लोहरदगा. सदर प्रखंड के नदिया गांव के ग्रामीण काफी खुश हैं. पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल ने यहां 4 करोड़ 47 लाख […]
लीड ::7:: घर में पानी पाकर खुश हैं ग्रामीण अभी भी अधूरे पड़े हैं जिले में कई जलापूर्ति योजना फोटो- एलडीजीए-5 नंदा महतो, एलडीजीए-6 गालो उरांव, एलडीजीए-7 जितराम उरांव, एलडीजीए-8 मनोज भगत,एलडीजीए-9 मनराज पहान. लोहरदगा. सदर प्रखंड के नदिया गांव के ग्रामीण काफी खुश हैं. पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल ने यहां 4 करोड़ 47 लाख रुपये की लागत से ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना का निर्माण कराया है. यह निर्माण कार्य 13 अगस्त 2016 तक पूरा होना था, लेकिन संवेदक ने इसे लगभग दस माह पहले ही पूरा कर दिया. आज यहां के ग्रामीणों के घर तक पानी पहुंच रहा है. इस संबंध में लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. नंदा महतो का कहना है कि पहले पानी के लिए भटकना पड़ता था, लेकिन अब घर में पानी पहुंचने लगा है. काफी अच्छा लगता है. गालो उरांव का कहना है कि पानी के लिए बरतन लेकर भटकना पड़ता था, लेकिन जब से यह योजना शुरू हुई है, अब घर तक पानी पहुंचने लगा है. काफी सुविधा हो रही है. जितराम उरांव का कहना है कि इस योजना के समय से पहले शुरू हो जाने से काफी सुविधा हुई है. घर-घर में पानी पहुंच रहा है. मनोज भगत का कहना है कि जल ही जीवन है और अब हमलोगों का जीवन सरल हो गया है. मनराज पहान का कहना है कि पानी की सुविधा जहां हो वहां निश्चित रुप से खुशहाली होती है. आज नदिया गांव में यही स्थिति है. लोहरदगा. पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के द्वारा ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन तो निर्धारित समय सीमा से लगभग 10 माह पहले ही पूरा करा लिया गया. लेकिन जिले में कई बड़ी जलापूर्ति योजनाएं अभी भी अधूरे पड़े हैं. कुडू जलापूर्ति योजना लगभग 8 करोड़ 51 लाख रुपये की लागत से क्रियान्वित किया जाना था, इसके लिए 28 सिंतबर 2013 को एकरारनामा किया गया और 23 सितंबर 2015 तक इस योजना को पूरा करना था. इस योजना के संवेदक आदित्य अरव देव थे. योजना अधूरी पड़ी . इसी तरह अकाशी जलापूर्ति योजना 12 करोड़ 29 लाख रुपये की लागत से क्रियान्वित किया जाना है. इस योजना का एकरारनामा 27 जून 2013 को किया गया. इसे 26 जून 2015 तक पूरा करना था. गिरीडीह की कंपनी शिल्पी कंट्रक्शन को यह काम आवंटित किया गया था. निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा गुजर जाने के बाद भी अधूरा पड़ा है. ग्रामीण पानी के लिए परेशान हैं.