लीड ::3:::: विधानसभा उपचुनाव में विकास के मुद्दे गौण
लीड ::3:::: विधानसभा उपचुनाव में विकास के मुद्दे गौण व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का जोर फोटो- एलडीजीए-9 बदहाल स्थिति में रहने को विवश हैं पहाड़ी इलाके के लोग.एलडीजीए-10 पेयजल की समुचित व्यवस्था भी नहीं है. लोहरदगा. लोहरदगा जिले में विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगरमी तेज होती जा रही है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता अपने […]
लीड ::3:::: विधानसभा उपचुनाव में विकास के मुद्दे गौण व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का जोर फोटो- एलडीजीए-9 बदहाल स्थिति में रहने को विवश हैं पहाड़ी इलाके के लोग.एलडीजीए-10 पेयजल की समुचित व्यवस्था भी नहीं है. लोहरदगा. लोहरदगा जिले में विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगरमी तेज होती जा रही है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता अपने दल के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार में जुट गये हैं. उपचुनाव में इस बार विकास के मुद्दों की बजाय व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा हो रहा है. जबकि 17 मई 1983 को जिला बना लोहरदगा आज भी कई बुनियादी सुविधाओं से महरुम है. ग्रामीण इलाकों की बात तो दूर शहरी क्षेत्र में भी पेयजल की गंभीर समस्या है. जिले में बिजली व पेयजल आपूर्ति बदतर है. चलने लायक शहर की सड़कें नहीं हैं. जिले में अब तक एक बाइपास सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. विभिन्न समारोहों में विकास की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन धरातल पर सच्चाई तो ये है कि शहर में जबरदस्त सड़क जाम रहता है. दुर्घटनाओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो जिले के कई इलाके अभी भी विकास की रोशनी से दूर हैं. ग्रामीण इलाकों में चलने लायक सड़क भी नहीं है. रोजगार का अभाव है. लोग पलायन को विवश होते हैं. सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव किसानों को परेशान किये रहता है. सिंचाई सुविधा और रोजगार उपलब्ध नहीं होने के कारण उग्रवाद का प्रभाव भी बढ़ा है. पेशरार जैसे इलाके में अभी भी विकास नहीं हो पाया है. सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई सहित अन्य सुविधाएं नदारद हैं. विकास येाजनाओं में भारी गड़बड़ी इस इलाके में होती है. उग्रवाद का बहाना बना कर विकास योजनाओं का निरीक्षण करने अभियंता नहीं जाते हैं. उग्रवाद के कारण लोग अपने बच्चों को अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं. स्थिति में बदलाव के लिये कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है. इस बार चुनाव के पूर्व विभिन्न राजनीतिक दल के लोग पेशरार इलाके में गये. वहां की स्थिति देख कर बोले कि इस इलाके का भी विकास होना चाहिए, लेकिन विकास अबतक क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. किस्को-रिचुघुटा पथ निर्माण के पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. शाही घाट में सड़क निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि बगैर सड़क बनाये ही निकाल ली गयी है. इस मामले में आरइओ के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता व संवेदक जेल में हैं. कागजों पर तालाब की खुदाई हो गयी, धरातल पर नहीं. विद्यालयों का नियमित निरीक्षण नहीं होने से शिक्षा की स्थिति भी बदतर है. स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है. मलेरिया पूरे इलाके को अपनी चपेट में लिए हुए है. पहाड़ी इलाके के लोग भगवान भरोसे जीने को विवश हैं. विधानसभा उपचुनाव में बड़े-बड़े नेता पहुच रहे हैं और बड़ी-बड़ी बाते भी कर रहे हैं, लेकिन जनता अब ऐसे लोगों को समझ चुकी है.