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आज भी तबेला गांव में बि जली नहीं है

पंचायत भवन बनते के साथ ध्वस्त हुआ स्वास्थ्य उपकेंद्र बना, पर शुरू नहीं हुआ गुमला : चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में तबेला गांव है. घने जंगल व पहाड़ों के बीच है. चैनपुर से 30 किमी दूर है. इस गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. बारडीह तक कहीं कच्ची व कहीं पथरीली सड़क […]

पंचायत भवन बनते के साथ ध्वस्त हुआ
स्वास्थ्य उपकेंद्र बना, पर शुरू नहीं हुआ
गुमला : चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में तबेला गांव है. घने जंगल व पहाड़ों के बीच है. चैनपुर से 30 किमी दूर है. इस गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. बारडीह तक कहीं कच्ची व कहीं पथरीली सड़क है. बारडीह से तबेला तक जाने के लिए पगडंडी है. वह भी खेत से होकर. इस गांव में नक्सली आते-जाते रहते हैं. यहां के लोग खेतीबारी करते हैं. इसी से इनका जीवन चल रहा है.
समस्या है तो स्वास्थ्य सुविधा, बिजली व सड़क की. गांव में पांच साल पहले स्वास्थ्य उपकेंद्र बना है, पर शुरू नहीं हुआ. बगल में पंचायत भवन है. पर बनते के साथ ही ध्वस्त हो गया. देखनेवाला कोई नहीं है. आजादी के 67 साल गुजर गया. आज तक सरकारी मुलाजिम गांव तक नहीं पहुंचे हैं. यहां तक कि विधायक व सांसद कौन हैं, गांव के लोग नहीं जानते. ग्रामीण विद्युतीकरण योजना फेल है. यहां न पोल लगा है न तार है. आज भी लोग ढिबरी युग में जी रहे हैं.
कभी पंचायत हुआ करता था तबेला : गांव के जेनोबियस एक्का, इसाइया तिग्गा, समरदन तिर्की ने कहा : इस बार गांव की सरकार चुने हैं. चुनाव के बाद नये मुखिया व पंचायत समिति से विकास की उम्मीद है. इन लोगों ने यह भी कहा : कभी तबेला पंचायत हुआ करता था. लेकिन बाद में तबेला को मौजा बना दिया और बारडीह को पंचायत. इस कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सका है. नक्सली आते हैं, लेकिन कभी ग्रामीणों को परेशान नहीं किये हैं.

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