2002 से आतंक बना हुआ है रामदेव
गुमला : झांगुर गुट के सुप्रीमो रामदेव उरांव 2002 से आतंक बना हुआ है. बिशुनपुर, चैनपुर व घाघरा इलाके में इसका दहशत है. इन तीनों थानों में इसके खिलाफ 50 से अधिक मामले दर्ज है. इसमें नरसंहार की घटना भी शामिल है. रामदेव कुख्यात है. पुलिस इसे पकड़ने में विफल रही है. सबसे बड़ी बात […]
गुमला : झांगुर गुट के सुप्रीमो रामदेव उरांव 2002 से आतंक बना हुआ है. बिशुनपुर, चैनपुर व घाघरा इलाके में इसका दहशत है. इन तीनों थानों में इसके खिलाफ 50 से अधिक मामले दर्ज है. इसमें नरसंहार की घटना भी शामिल है. रामदेव कुख्यात है. पुलिस इसे पकड़ने में विफल रही है.
सबसे बड़ी बात कि 11 वर्ष में पुलिस ने मात्र एक बार रामदेव के खिलाफ उसके ठिकाने देवरागानी में सर्च ऑपरेशन चलाया है. इसमें रामदेव तो नहीं मिला, लेकिन देवरागानी गुफा से पुलिस को रामदेव के कुछ सामान मिला था. रामदेव तेंदार व देवरागानी इलाके में बड़े आराम से रह कर रंगदारी की उगाही करता रहा है. रंगदारी से जो पैसा मिलता है. उसे रामदेव लोगों के बीच बांटता भी है. इस कारण वह उस क्षेत्र में हमदर्द बना हुआ है. रामदेव सुरक्षा की दृष्टिकोण से कभी भी माओवादी व जेजेएमपी से भिड़ने का प्रयास नहीं किया है. क्योंकि वह अपनी ताकत जानता है. उसके पास मात्र 25 से 30 सदस्य ही हैं.
झांगुर गुट के नाम से रामदेव का दूसरा गिरोह लातेहार जिला में भी चलता है. लेकिन वह उस क्षेत्र में कमांडरों की नियुक्ति कर काम कर रहा है. देवरागानी व तेंदार के अलावा चैनपुर प्रखंड के नवागाई के आसपास रामदेव ठहरता है. क्योंकि यह सेफ जोन है. अपरशंख जलाशय योजना के ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने का काम वह ज्यादा करता है.