:::: अच्छी पहल : घर जाकर पढ़ाते हैं शक्षिक
:::: अच्छी पहल : घर जाकर पढ़ाते हैं शिक्षकरामवि अंबेडकर गुमला के शिक्षक मो जलील होम बेस्ड शिक्षा दे रहे हैं10 गुम 11 में नि:शक्त छात्र को पढ़ाते शिक्षक मो जलील.प्रतिनिधि, गुमलाव्यवसाय बनते शिक्षा व्यवस्था में आज भी कुछ ऐसे शिक्षक हैं, जो छात्रों को नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा देकर समाज में मिसाल पेश कर […]
:::: अच्छी पहल : घर जाकर पढ़ाते हैं शिक्षकरामवि अंबेडकर गुमला के शिक्षक मो जलील होम बेस्ड शिक्षा दे रहे हैं10 गुम 11 में नि:शक्त छात्र को पढ़ाते शिक्षक मो जलील.प्रतिनिधि, गुमलाव्यवसाय बनते शिक्षा व्यवस्था में आज भी कुछ ऐसे शिक्षक हैं, जो छात्रों को नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा देकर समाज में मिसाल पेश कर रहे हैं. इन्हीं में गुमला शहर के राजकीयकृत मवि अंबेडकर नगर के सरकारी शिक्षक मोहम्मद जलील हैं. जो होम बेस्ड शिक्षा के तहत एक नि:शक्त छात्र आतिफ सादाब को उनके घर जाकर नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं. शहर के आजाद बस्ती निवासी मोहम्मद शमसेर का बेटा आतिफ सादाब नि:शक्त है. वह चल नहीं सकता. इस कारण वह स्कूल नहीं जा पाता. परंतु आतिफ में पढ़ने की दृढ़ इच्छा है. छात्र की इच्छा को देखते हुए पहले उसे रामवि अंबेडकर नगर में दाखिला कराया गया. इसके बाद शिक्षक मो जलील ने उसे घर में जाकर पढ़ाने का बीड़ा उठाया. मो जलील हर दिन एक घंटे आतिफ को पढ़ाते हैं. जिस दिन जलील घर नहीं जा पाते, उस दिन सहयोगी शिक्षक प्रदीप राम व संजीदा खातून घर जाकर आतिफ को पढ़ाते हैं. गुमला जिले में यह पहला प्रयास है. जब एक छात्र स्कूल नहीं आ सकता. उसे घर जाकर शिक्षक शिक्षा दे रहे हैं. आतिफ अभी सात क्लास में है.बेटे की इच्छा पूरी हो रही है : पिताआतिफ के पिता शमसेर ने कहा : बेटे को पढ़ने की इच्छा थी. परंतु वह चल कर स्कूल नहीं जा सकता. इसकी जानकारी जब शिक्षक मो जलील को दिये तो उन्होंने मेरे बेटे को घर में आकर पढ़ाने लगे. मुझे खुशी है. मेरा बेटा पढ़ तो रहा है. उम्मीद है. भविष्य में कुछ अच्छा ही होगा.18 नि:शक्त बच्चे दिल्ली में पढ़ रहे हैंगुमला में आशादीप स्कूल संचालित था. यहां नि:शक्त बच्चे पढ़ते थे. आज ये सभी बच्चे दिल्ली के अंध विद्यालय में पढ़ रहे हैं. यह सब हुआ है शिक्षक मो जलील व उनके सहयोगी शिक्षक उदय कुमार के अथक प्रयास से. इन दोनों शिक्षकों ने नि:शक्त बच्चों को ब्रेल लिपी की शिक्षा देकर उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है.नि:शक्त बच्चे अपने-आप में विशेष होते हैं. उनमें प्रतिभा है. जरूरत है, उन्हें सहानुभूति के साथ सहयोग की. हम सभी नि:शक्त बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा दें, तो वे भी अच्छे मुकाम को प्राप्त कर सकते हैं.मो. जलील, शिक्षक, रामवि, गुमला \\\\B