गुजरता वर्ष : सालभर विवादों में रहा नगर परिषद

गुमला : वर्ष 2015 नगर परिषद के लिए खास नहीं रहा. सालभर नप विवादों में रहा. नप के प्रतिनिधि आपस में लड़ते रहे. जनता की समस्याएं गौण रही. एक साल में देखें तो शहरी क्षेत्र की जनता के लिए कोई काम नहीं हुआ. यहां तक कि मलीन बस्ती आवास योजना भी पूरी नहीं हो सकी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2015 2:34 AM
गुमला : वर्ष 2015 नगर परिषद के लिए खास नहीं रहा. सालभर नप विवादों में रहा. नप के प्रतिनिधि आपस में लड़ते रहे. जनता की समस्याएं गौण रही. एक साल में देखें तो शहरी क्षेत्र की जनता के लिए कोई काम नहीं हुआ. यहां तक कि मलीन बस्ती आवास योजना भी पूरी नहीं हो सकी.
पानी व सफाई की समस्या से जनता तो जूझते ही रही, बस पड़ाव, टेंपो व सब्जी मंडी के ठेका का विवाद गरम रहा. बिना टेंडर के वसूली होती रहा. कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ. नप में बड़े पदों पर बैठे लोग मालामाल होते रहे. परंतु गरीब जनता को कुछ नहीं मिला. यहां तक कि आयु व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी लोगों को भटकना पड़ा. अध्यक्ष की कुरसी जाति विवाद में फंसने के बाद उपाध्यक्ष के हाथों नगर परिषद आ गया.
लेकिन उपाध्यक्ष पर भी सालों भर कई तरह के आरोप लगते रहे. यहां तक कि उपाध्यक्ष मोसर्रत परवीन के कार्यों से नाराज वार्ड पार्षदों ने उसके खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया. एक बार किसी प्रकार अविश्वास प्रस्ताव टल गया, लेकिन दूसरी पर जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो सेटिंग-गेटिंग कर मोसर्रत दोबारा उपाध्यक्ष बनीं. उपाध्यक्ष पर अपने ही लोगों को लाभ देने का भी आरोप लगता रहा. नगर परिषद में गरीब मजदूरों के लिए रिक्शा लाकर रखा हुआ है, एक साल होने जा रहा है.
रिक्शा रखे-रखे जंग खा रहा है, लेकिन कमीशन के कारण रिक्शा का वितरण गरीबों के बीच नहीं किया गया. नगर परिषद में उत्पन्न विवाद के कारण कार्यपालक पदाधिकारी गुमला में काम करने को तैयार नहीं है. कई लोग आये, लेकिन छुट्टी लेकर गये तो फिर वापस गुमला में ज्वाइन नहीं किये. कई महीने तक नगर परिषद प्रभार में चला. लोहरदगा के इओ के अलावा गुमला के अधिकारी प्रभार पर काम किये. अभी नये पदाधिकारी आये हैं, उनसे काम की उम्मीद है.
शहर में जलापूर्ति योजना फेज-टू पर काम हो रहा है. पर नगर परिषद की कार्यप्रणाली के कारण जलापूर्ति का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है. होल्डिंग, वाटर टैक्स को लेकर मामला गरमाते रहा है. यहां तक कि नये भवन बनाने के लिए नगर परिषद से बननेवाला नक्शा को लेकर भी लोग दौड़ते रहे. देखा जाये तो वर्ष 2015 में जनता को नगर परिषद से कोई लाभ नहीं मिला है.

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