लोगों में जागरूकता जरूरी
एसडीओ आंजनेयुलु दोड्डे ने कहा, सुरक्षित पलायन के लिए गुमला : जतन नेटवर्क एवं छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के संयुक्त तत्वावधान में ‘महिला के सुरक्षित गमन’ विषय पर सोमवार को जिला परिषद सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का प्रकार, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, […]
एसडीओ आंजनेयुलु दोड्डे ने कहा, सुरक्षित पलायन के लिए
गुमला : जतन नेटवर्क एवं छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के संयुक्त तत्वावधान में ‘महिला के सुरक्षित गमन’ विषय पर सोमवार को जिला परिषद सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का प्रकार, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, घरेलू हिंसा के तहत महिलाओं को मिलने वाली सहायता व अधिकार के संबंध में विस्तार से चर्चा की गयी. जिसमें जिला प्रशासन पदाधिकारी, संघ के पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी सहित कई गणमान्य लोगों ने घरेलू हिंसा को रोकने और इससे पीड़ित महिलाओं को सहायता व अधिकार देने के संबंध में उपस्थित लोगों को अवगत कराया गया.
संस्था की सचिव सच्ची कुमारी ने सुरक्षित पलायन की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समेकित प्रयास द्वारा हम पलायन के दौरान होने वाले शोषण से निजात पा सकते हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुमला एसडीओ आंजनेयुलु दोड्डे ने कहा कि आज के परिवेश में लोगों का पलायन रोकना संभव नहीं है.
लोग रोजी-रोजगार के लिए बाहर जाते हैं. बाहर जाने वाले ऐसे लोग सुरक्षित रहें, इसके लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. जेजेबी के शंभु सिंह ने नाबालिग बच्चियों के पलायन की रोकथाम के लिए कानून की महत्ता पर जानकारी दी.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव रमाकांत मिश्र ने अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस अवसर पर महिला थाना प्रभारी एमलेन टुटी, बाल कल्याण समिति की तागरेन पन्ना, विश्वनाथ उरांव, रविंद्र श्रीवास्तव, इस्तेखार मंसूरी, राजेश कुमार, नेहा प्रवीण, विमला देवी, अधिवक्ता बुंदेश्वर गोप, करुणा परियोजना के सीके मिश्र आदि उपस्थित थे.
परिचर्चा में निकला निष्कर्ष : कार्यक्रम में विभिन्न पदाधिकारियों के परिचर्चा के बाद विभिन्न प्रकार का निष्कर्ष निकाला गया. इसके तहत पंचायत स्तर पर पलायन करने वालों का पंजीकरण एवं सूचना केंद्रों की स्थापना की जाये, ग्राम सभा द्वारा सुरक्षित पलायन पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया जाये, शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए धावा दल का गठन किया जाये.
समुदाय को अंतरराष्ट्रीय प्रणाली ग्रामीण कानून को प्रभावी बनाया जाये और स्थानीय स्तर पर चलाये जा रहे स्वरोजगार कार्यक्रमों में गरीबों को जोड़ा जाये. इन निष्कर्षो पर एक कार्यक्रम के तहत जिला में कार्य किया जायेगा. ताकि घरेलू हिंसा और पलायन जैसी समस्या से निबटा जा सके.