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गुमला में 1932 से हो रही झंडा पूजा

मंगलवारी झंडा की स्थापना के साथ रामनवमी पर्व का शंखनाद हो गया. वर्ष 1932 में गुमला में सबसे पहले शहर के घाटो बगीचा में पूजा हुई थी. चार राज्य के लोग मेला में जुटते थे. वहीं से झंडा पूजा शुरू हुई. अब शहर में 24 से अधिक अखाड़ा में होती है पूजा. गुमला : गुमला […]

मंगलवारी झंडा की स्थापना के साथ रामनवमी पर्व का शंखनाद हो गया. वर्ष 1932 में गुमला में सबसे पहले शहर के घाटो बगीचा में पूजा हुई थी. चार राज्य के लोग मेला में जुटते थे. वहीं से झंडा पूजा शुरू हुई. अब शहर में 24 से अधिक अखाड़ा में होती है पूजा.
गुमला : गुमला में रामनवमी पर्व का इतिहास प्राचीन है. वर्ष 1932 में सबसे पहले झंडा पूजा हुई थी. उस समय शहर के घाटो बगीचा में पहली बार रामनवमी पर्व को लेकर झंडा की पूजा की गयी. इसके बाद से रामनवमी पर्व मनाने की परंपरा अनवरत जारी है. उस समय गौ मेला लगता था.
उसी गौ मेला से यह परंपरा शुरू हुई. उस समय भारत गुलाम था. पूरा देश अंग्रेजों के जुल्म से जल रहा था. गुमला भी इससे अछूता नहीं था, लेकिन यहां की मजबूत एकता अंग्रेजों को ज्यादा प्रभावी होने नहीं दिया. रायडीह के बख्तर साय व मुंडन सिंह जैसे वीर सपूत, मुरगू के तेलंगा खड़िया व बिशुनपुर के जतरा टाना भगत जैसे महान नेताओं ने अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया. इन्हीं आंदोलनकारियों का परिणाम है कि 83 वर्ष गुजर गये़ आज भी गुमला जिले में रामनवमी पर्व भाईचारगी की मिशाल पेश करता है.
कहा जाता है कि गुमला जो कभी गौ मेला से प्रसिद्ध था, यहां छत्तीसगढ़, ओड़िशा, बिहार व बंगाल राज्य के मवेशी व्यापारी शहर के घाटो बगीचा में जुटते थे. यहां सभी जाति व धर्म के लोग आते थे.
उस समय गुमला का पूर्ण विकास नहीं हुआ था. जंगल और झाड़ से पटा हुआ था. यहीं से विचारों की एक चिंगारी निकली. भाईचारगी को मजबूत करने के लिए कुश्ती, लाठी, डंडा, भाला व गद्दा का प्रदर्शन किया जाने लगा. वहीं काली मंदिर, जहां आज पुल है, 1932 में पुल नहीं था. लोग नदी से होकर पार करते थे, जहां अखाड़ा में कुश्ती होता था.
कलांतर में इसकी तसवीर बदली और आगे चल कर रामनवमी पर्व का रूप धारण कर लिया. आज गुमला शहर में 24 अखाड़ों द्वारा जुलूस निकाला जाता है. 10 दिन तक पूरा गुमला जिला रामनवमी पर्व के रंग में रंगा रहता है. यहां रामनवमी पर्व का उत्साह इस कारण और बढ़ जाता है कि गुमला से 21 किमी दूर आंजन गांव में श्रीराम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था.
मंगलवारी झंडा की स्थापना हुई
शहर के पटेल चौक व टावर चौक के समीप मंगलवारी झंडा की स्थापना की गयी. पुजारी हरि शंकर त्रिपाठी द्वारा पूजा पाठ की गयी. इसके बाद केंद्रीय महावीर मंडल समिति गुमला द्वारा झंडा की स्थापना कर रामनवमी पर्व का शंखनाद किया गया. झंडा स्थापना के साथ ही लोगों ने जय हनुमान व जय श्री राम के जयकारे लगाये. मौके पर अध्यक्ष रवींद्र सिंह, दामोदर कसेरा, सत्यनारायण पटेल, निर्मल गोयल, हिमांशु केसरी, पप्पू श्रीवास्तव, राहुल कुमार, बल्लू गुप्ता, अरुण केसरी, विश्वजीत शर्मा, श्याम शर्मा, मुरली मनोहर प्रसाद, विजय आनंद व अरविंद मिश्र सहित कई लोग थे.
प्रकाश उरांव राणा संघ के अध्यक्ष बने
रामनवमी पर्व को लेकर राणा संघ के अखाड़ा की बैठक हुई. अध्यक्षता शिशुपाल सिंह ने की. सबसे पहले बीते वर्ष का आय व्यय का ब्योरा रस्तुत किया गया. वहीं इस वर्ष रामनवमी धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया. मौके पर नयी कमेटी का गठन किया गया. इसमें संरक्षक महावीर गोप, महेश उरांव, अध्यक्ष प्रकाश उरांव, उपाध्यक्ष संतोष खड़िया, सचिव सतीश उरांव, उपसचिव संजीव खड़िया, कोषाध्यक्ष सावना खड़िया, उपकोषाध्यक्ष सूरज उरांव, लेखा निरीक्षक रवींद्र गोप, पूजा प्रभारी शिशुपाल सिंह, खेल मंत्री आकाश खड़िया को बनाया गया. धन्यवाद ज्ञापन रवींद्र गोप ने किया.
आंजनधाम में पूजा की तैयारी शुरू
श्रीराम भक्त हनुमान की जन्म स्थली आंजनधाम में रामनवमी पूजा समितिकी बैठक हुई. अध्यक्षता भूखन नायक ने की. मौके पर इस वर्ष रामनवमी पर्व के अवसर पर रामायण पाठ, कलश स्थापना व दुर्गा सप्तमी पाठ भव्य रूप से करने का निर्णय लिया गया. वहीं रामनवमी पर्व के अवसर पर होने वाले संपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कमेटी का गठन किया गया.
इसमें संरक्षक आंजन मुखिया रंजन उरांव को बनाया गया. वहीं अध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष राजेश बड़ाइक, अमित कुमार साय, सचिव साधु शरण ठाकुर, सह सचिव लखन बड़ाइक, कोषाध्यक्ष संजय महतो, सह कोषाध्यक्ष प्रमोद नायक, अंकेक्षक लालदेव पांडेय, रंजय उरांव को बनाया गया. कार्यकारिणी में सहदेव उरांव, अरुण बड़ाइक, दीपक उरांव, मलकू नायक, शैलेश उरांव, देव सिंह, सोमनाथ बैगा, लक्ष्मण बाबा, रघु नायक, कृष्णा बड़ाइक, नारायण उरांव हैं. अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि आठ अप्रैल से आंजनधाम स्थित मंदिर में कार्यक्रम शुरू होगा. इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है.

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