रायडीह में पानी के लिए हाहाकार
गुमलाः रायडीह प्रखंड में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जैसे-जैसे गरमी बढ़ रही है. प्रखंड के कुआं का जलस्तर गिर रहा है. तालाब, पोखर व नदी सूख रहे हैं. प्रखंड के 75 प्रतिशत चापानल खराब है. लोग दो बाल्टी पानी के लिए भटक रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विभाग चुप्पी साधे हुए हैं. […]
गुमलाः रायडीह प्रखंड में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जैसे-जैसे गरमी बढ़ रही है. प्रखंड के कुआं का जलस्तर गिर रहा है. तालाब, पोखर व नदी सूख रहे हैं. प्रखंड के 75 प्रतिशत चापानल खराब है. लोग दो बाल्टी पानी के लिए भटक रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विभाग चुप्पी साधे हुए हैं. प्रखंड स्थित जलमीनार 18 वर्ष से बेकार पड़ा हुआ है. पिछले वर्ष जलमीनार की मरम्मत हुई थी, लेकिन इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है. सबसे बुरा हाल प्रखंड के नवागढ़ पतराटोली का है.
प्रखंड के भलमंडा, सिलम, मांझाटोली, सलकाया, कांसीर, जमगाई, कोब्जा, रतियाकोना, परसा, कोंडरा, सुरसांग, हेसांग, बिरकेरा, लसरा, टुडूरमा पंचायत में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. प्रखंड की लाइफ लाइन शंख नदी भी सूखने लगी है. इस प्रखंड के गांवों की स्थिति दयनीय है. लोग एक गांव से दूसरे गांव पानी के लिए भटक रहे हैं. केमटे पंचायत स्थित चारटोली गांव में दो चापाकल है, जिसमें से एक खराब है. एक कुआं है उसका पानी भी गंदा है. सलकाया बेंदोटोली के ग्रामीण एक चापाकल पर आश्रित है. पोखरा व तालाब का पानी सूख गया है.
खुरसुत्ता गांव में चार कुएं है, जिसमें से तीन कुएं का पानी गंदा है. एक तालाब है, जिससे सिंचाई व घरेलू कामकाज किया जाता है. लेकिन वह भी सूखने की कगार पर है. सन्याकोना गांव में 10 में से 8 चापनल खराब है. एक कुआं है उसमें पानी समाप्त हो चुका है. गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. इसी प्रकार खुटयारी गांव में एक भी चापाकल नहीं है. दो सरकारी कुआं है. उसका पानी भी खत्म होने की कगार पर है.
प्रखंड के कोजांग गांव की स्थिति सबसे दयनीय है. गांव में एक भी चापानल नहीं है. सरकारी कुआं है लेकिन उसका पानी भी पूर्णत: सूख गया है. गांव में वर्तमान में पेयजल का कोई साधन नहीं है. सिपरिंगा गांव में कुआं है लेकिन उसी के पानी से सिंचाई के सारे कामकाज होते है. इसी प्रकार जरजट्टा में आठ में से छह चापाकल खराब है. नवाटोली गांव का चापानल खराब पड़ा है. कांडेरा गांव में आठ में से चार चापानल खराब है.