पूरी नहीं हुईं योजनाएं

– अश्विनी कुमार – भरनो : राज्य में पंचायत चुनाव होने के बाद प्रखंड के लोगों में आशा जगी थी, कि गांव की सरकार गांव में ही विकास कार्य करेगी. पंचायत का अपना भवन होगा, विकास योजनाओं का चयन व क्रियान्वयन पंचायत सचिवालय से होगा. राज्य सरकार ने पंचायत सचिवालय के निर्माण हेतु बीआरजीएफ योजना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2014 4:13 AM

– अश्विनी कुमार –

भरनो : राज्य में पंचायत चुनाव होने के बाद प्रखंड के लोगों में आशा जगी थी, कि गांव की सरकार गांव में ही विकास कार्य करेगी. पंचायत का अपना भवन होगा, विकास योजनाओं का चयन व क्रियान्वयन पंचायत सचिवालय से होगा.

राज्य सरकार ने पंचायत सचिवालय के निर्माण हेतु बीआरजीएफ योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2010-11 और 2011-12 में नौ राजीव गांधी सेवा केंद्र बनाने की स्वीकृति प्रदान किया. जिसमें ठेकेदारी व जमीन विवाद को लेकर दक्षिणी भरनो और अमलिया पंचायत में कार्य प्रारंभ नहीं कराया जा सका.

इसके लिए काफी राजनीतिक दांव-पेंच भी चले. अंतत: इस योजना की राशि को वापस जिला को भेज दिया गया. बावजुद चार ऐसी योजना है जिसके कार्य पूर्ण भी नहीं हुए. अधिकारियों ने उसे राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा से ऑन लाइन विधिवत उदघाटन करा दिया.

सबसे मजेदार बात तो यह है कि तत्कालीन बीडीओ तनूजा लकड़ा (अब मृत) ने उक्त सात योजनाओं का कार्य एजेंसी प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी रणजीत सोरेन को दिया गया. इनके जिम्मे एक करोड़ 47 लाख रुपये की योजना थी. उक्त सभी योजनाएं अपूर्ण हैं, वहीं इधर श्री सोरेन का विगत दिसंबर 2012 में स्थानांतरण दुमका हो गया. विगत एक वर्ष से उक्त योजनाओं का कार्य ठप पड़ा हुआ है.

बीडीओ ने विगत एक वर्ष में ठप पड़े कार्य को एक इंच आगे बढ़वाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. यहां तक मजदूरों का भुगतान भी नहीं किया गया है. ज्ञातव्य हो कि प्रखंड में बारह पंचायत हैं. जिसमें उत्तरी भरनो, आताकोरा व सुपा पंचायत में पूर्व से पंचायत भवन निर्मित है.

शेष नौ पंचायत हेतु वित्तीय वर्ष 2010-11 में करंज व डोम्बा और 2011-12 में करौंदाजोर, डुडिया, दुम्बो, मारासिल्ली, तुरिअंबा, दक्षिणी भरनो व अमलिया पंचायत में बीआरजीएफ योजना के तहत राजीव गांधी सेवा केंद्र बनाने की स्वीकृति दो फेज में प्रदान किया गया. दक्षिणी भरनो व अमलिया पंचायत में जमीनी विवाद व राजनीतिक दांव-पेंच के कारण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका.

इस योजना की 42 लाख रुपये की राशि जिला को वापस कर दिया गया. उक्त प्रत्येक योजनाओं की प्राक्कलित राशि 21 लाख रुपये है. उक्त सात योजनाओं के अभिकर्ता रणजीत सोरेन ने कुल प्राक्कलित राशि 1 करोड़ 47 लाख में से 1 करोड़ 15 लाख 45 हजार 166 रुपये की निकासी कर लिया है. वहीं योजनाओं में अद्यतन किये गये कार्यो की मापी पुस्तिका कनीय अभियंता अमर रवि दास ने 94 लाख 76 हजार 55 रुपये का बनाया है.

ऐसी स्थिति में 20 लाख 69 हजार एक सौ ग्यारह रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आता है. यहां बता दें कि करंज, करौंदाजोर, डोम्बा व डुडिया पंचायत के सचिवालय को पूर्ण बता कर अधिकारियों ने विगत वर्ष गुमला के एक कार्यक्रम में ऑन लाइन उदघाटन करा दिया.

उक्त चार योजनाओं की स्थिति यह है कि बोरिंग, शौचालय का निर्माण नहीं किया गया, खिड़कियों में शीशे नहीं लगाये गये हैं. दुम्बो और मारासिल्ली पंचायत के निर्माणाधीन कार्य का फिनिसिंग कार्य शेष है, जबकि तुरिअंबा पंचायत के भवन का कार्य विगत एक वर्ष से ठप है. इनकी जगह पर दूसरे अधिकारी को अभिकर्ता नहीं बनाया गया है. सूत्रों के अनुसार रंजीत सोरेन का अंतिम वेतन विपत्र अभी लंबित है.

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