पेड़ काटने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
मांझाटोली से कोंडरा तक सड़क निर्माण के दौरान जंगलों से पेड़ काटे गये गुमला : रायडीह प्रखंड के मांझाटोली से कोंडरा तक सड़क निर्माण के नाम पर वर्षों पुराने पेड़ को ठेकेदारों ने काट दिया. इनमें कई बेशकीमती पेड़ थे. 100 से अधिक पेड़ काटे गये हैं. इनमें कुछ पेड़ रैयती जमीन, तो कुछ सरकारी […]
मांझाटोली से कोंडरा तक सड़क निर्माण के दौरान जंगलों से पेड़ काटे गये
गुमला : रायडीह प्रखंड के मांझाटोली से कोंडरा तक सड़क निर्माण के नाम पर वर्षों पुराने पेड़ को ठेकेदारों ने काट दिया. इनमें कई बेशकीमती पेड़ थे. 100 से अधिक पेड़ काटे गये हैं. इनमें कुछ पेड़ रैयती जमीन, तो कुछ सरकारी जमीन पर थे. बताया जा रहा है कि बिना अनुमति के शिवालया कंस्ट्रक्शन ने पेड़ कटवाये हैं. उन पेड़ों को बेच भी दिया गया. कई पेड़ के बोटा को अभी भी छिपा कर रखा गया है, लेकिन आश्चर्य यह है कि ठेकेदार पेड़ काटते गये, लेकिन प्रशासनिक महकमा कार्रवाई करने से कतरा रहा है.
यहां तक कि कोंडरा इलाके की वन रक्षा समिति के भी कुछ लोग शिवालया कंस्ट्रक्शन से मिल कर पेड़ों को कटवाने व बेचने में शामिल हैं. रायडीह सीओ की रिपोर्ट है कि बिना अनुमति के पेड़ काटे गये हैं. इसके बावजूद जिले के वरीय अधिकारी कार्रवाई से पीछे हट रहे हैं.
यहां लोग सवाल कर रहे हैं, पेड़ काटने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं? क्योंकि एक पेड़ को तैयार होने वर्षों लग जाते हैं. लेकिन यहां पल भर में पेड़ काट कर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया गया है. जहां-जहां पेड़ काटा गया है, वहां आसानी से सड़क बन सकती थी. इसके बावजूद विकास के नाम पर विनाश किया गया. यह मामला सोमवार को सिसई प्रखंड में उठा है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास के समक्ष विधायक शिवशंकर उरांव ने मंच के माध्यम से बात को रखा. उन्होंने कहा है कि पेड़ काटना जरूरी नहीं था. उसे ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता था. कई पेड़ों को बचाया जा सकता था, लेकिन चंद लाभ के लिए पेड़ काटना उचित नहीं है. पेड़ काटने के मामले में पूर्व विधायक भूषण तिर्की ने भी आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन करेंगे.