एसएनसीयू की सुविधा, फिर भी बच्ची की मौत

गुमला : मातृ व शिशु मृत्यु दर पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है. यहां तक की सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू (सिक न्यू वेट्स केयर यूनिट) तक खोली गयी है. इसके बाद भी मातृ व शिशु मृत्यु दर पर रोक नहीं लग पा रही है. इसका ताजातरीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2016 8:00 AM
गुमला : मातृ व शिशु मृत्यु दर पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है. यहां तक की सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू (सिक न्यू वेट्स केयर यूनिट) तक खोली गयी है. इसके बाद भी मातृ व शिशु मृत्यु दर पर रोक नहीं लग पा रही है.
इसका ताजातरीन उदाहरण है सदर अस्पताल गुमला में हुई एक नवजात शिशु की मौत. नवजात शिशु के पिता चापा खड़िया ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण जन्म लेने के बाद उसकी बच्ची की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार, रायडीह प्रखंड के जमगई गांव निवासी चापा खड़िया की पत्नी जसिंता देवी गर्भवती थी. 25 मई को ममता वाहन से जसिंता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रायडीह लाया गया, जहां 26 मई को जसिंता ने दोपहर लगभग एक बजे एक शिशु (बच्ची) को जन्म दिया.
चिकित्सकों के अनुसार, जन्म से पूर्व मां के पेट में शिशु ने निकोनियम स्ट्रेंथ प्रजेंट (गर्भ का गंदा पानी) पी लिया था, जिस कारण बच्ची की तबीयत खराब हो गयी. नवजात का वजन 2.800 किलो था. सामुदायिक केंद्र की एएनएम द्वारा निकोनियम निकालने का प्रयास किया गया था,लेकिन निकोनियम को नहीं निकाल पायी. इसके बाद जसिंता को उसके बच्चे के साथ सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. इसपर चापा व जसिंता ने अपनी बच्ची को सबसे पहले प्राइवेट में एक डॉक्टर से दिखाया. डॉक्टर ने बच्चे की जांच करने के बाद एसएनसीयू में भरती कराने की बात कही. इसपर चापा व जसिंता जब अपने बच्चे को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे.
तो नर्स व कर्मियों ने कहा कि एसएनसीयू में बच्ची भरती नहीं होगी. उसे नीचे के बच्चे वार्ड में भरती कराओ. इस दौरान लगभग एक घंटा विलंब हो गया. परिजनों द्वारा हंगामा करने पर बच्ची को एसएनसीयू में भरती किया गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी और रात साढ़े नौ बजे नवजात की मौत हो गयी.

Next Article

Exit mobile version