अब तो सबक लीजिए!

गुमला : गुमला में स्कूली बच्चों को मिलावटी भोजन खाने के लिए परोसा जा रहा है. इसका साक्षात उदाहरण घाघरा का कस्तूरबा स्कूल है. वहां मिलावटी खाद्य सामग्री भी मिली है. घाघरा में बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है. शुक्र है, समय पर इलाज की व्यवस्था हो गयी. इस कारण बड़ा हादसा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2016 11:51 PM
गुमला : गुमला में स्कूली बच्चों को मिलावटी भोजन खाने के लिए परोसा जा रहा है. इसका साक्षात उदाहरण घाघरा का कस्तूरबा स्कूल है. वहां मिलावटी खाद्य सामग्री भी मिली है. घाघरा में बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है. शुक्र है, समय पर इलाज की व्यवस्था हो गयी.
इस कारण बड़ा हादसा टल गया, परंतु यह प्रशासन के लिए सबक है, क्योंकि गुमला के दूसरे स्कूलों में भी मिलावटी भोजन बन रहा है. गुमला के लोगों की मांग है कि मिलावटी भोजन की जांच हो. गुमला में पहले भी स्कूली बच्चे फूड प्वाइजनिंग का शिकार होते रहे हैं, परंतु हर समय मामला दबता रहा है. इसबार बड़ा हादसा है. एक साथ घाघरा की 338 लड़कियों का बीमार होना. इसमें 15-16 लड़कियाें की जान पर आफत आ गयी थी. लड़कियों को अस्पताल में पहुचांने वाले धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने सजगता दिखायी. प्रशासन के सहयोग का इंतजार नहीं किया. जैसी व्यवस्था मिली, तुरंत लड़कियों को अस्पताल तक पहुंचाया. आम लोगों ने लड़कियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए अपने पॉकेट से पैसा भी खर्च किया.
डीसी श्रवण साय से लोगों को उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके. ऐसे, डीसी ने कहा : पहले मामले की जांच होगी. दोषी कौन है, इसे देखना होगा. स्कूल प्रबंधन या आपूर्ति करने वाला संवेदक दोषी है. जांच होगी और कार्रवाई भी होगी. डीएसइ गनौरी मिस्त्री हैं. इनके जिम्मे कस्तूरबा स्कूल का संचालन करना है. वहां क्या हो रहा है, क्या समस्या है. सब दूर करना है.
डीएसइ ने कहा : दोषी बख्से नहीं जायेंगे. उन्होंने कहा कि 35-40 लड़कियों की हालत खराब है, परंतु इलाज के बाद स्थिति सामान्य है. भाजपा, कांग्रेस व झामुमो ने मामले को गंभीरता से लिया है. डीसी से जांच कराने के लिए कहा है. वहीं जब विकट परिस्थिति उत्पन्न होती है, तब अस्पताल का एंबुलेंस खराब हो जाता है. इस मामले की भी जांच करने के लिए कहा गया. ऐसे स्वास्थ्य विभाग के ही अधिकारी कहते हैं, एंबुलेंस का उपयोग घरेलू उपयोग में ज्यादा हो रहा है. यह जांच का मामला बनता है. डीसी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

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