पूछताछ के बाद पुलिस ने परिजनों को शव सौंपा

पालकोट के बोराडीह जंगल में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में आशीष यादव मारा गया था. परिजन मंगलवार को शव लेने गुमला पहुंचे. बुधवार को शव लेकर पटना रवाना हुए. बड़ी बहन ने शव को देखा. डर से भगिनी व भतीजा ने शव को नहीं देखा. दुर्जय पासवान4 गुमला पालकोट के बोराडीह जंगल में 11 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2016 7:48 AM
पालकोट के बोराडीह जंगल में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में आशीष यादव मारा गया था. परिजन मंगलवार को शव लेने गुमला पहुंचे. बुधवार को शव लेकर पटना रवाना हुए. बड़ी बहन ने शव को देखा. डर से भगिनी व भतीजा ने शव को नहीं देखा.
दुर्जय पासवान4 गुमला
पालकोट के बोराडीह जंगल में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में मारे गये विजेंद्र यादव उर्फ आशीष यादव की मैट्रिक तक की पढ़ाई उसकी बड़ी बहन प्रभावती देवी ने मजदूरी कर करायी थी. मैट्रिक पास करने के बाद आशीष आगे की पढ़ाई के लिए एक संस्थान में ट्यूशन पढ़ाने लगा.
ट्यूशन पढ़ा कर ही आशीष ने एमबीए तक की डिग्री प्राप्त की. उक्त जानकारी बड़ी बहन प्रभावती देवी ने दी. प्रभावती अपनी बेटी अंजु कुमारी व भतीजा ओमप्रकाश यादव के साथ अपने भाई आशीष का शव लेने गुमला आयी थी. मंगलवार की शाम को वे लोग गुमला पहुंचे. बुधवार को पुलिस जांच व पूछताछ के बाद दिन के तीन बजे शव को परिजनों को सौंपा गया. परिजन शव को लेकर पटना (नरौली) गये. प्रभावती ने कहा कि 15 सितंबर को शव का अंतिम संस्कार नरौली में किया जायेगा. प्रभावती ने आशीष की मौत के संबंध में कहा कि उसे झारखंड के पुलिस अधिकारी ने फोन कर बताया कि आशीष पुलिस मुठभेड़ में मारा गया है. उसके शव को लेने गुमला आना होगा. इसके बाद वे लोग गुमला आये.
मजदूरी कर आशीष को पढ़ाया : प्रभावती
बड़ी बहन प्रभावती देवी ने कहा कि गरीबी के कारण मजदूरी कर मैट्रिक तक अपने छोटे भाई विजेंद्र यादव उर्फ आशीष यादव को पढ़ाया. इसके बाद इंटर व आगे की पढ़ाई के लिए वह एक संस्थान में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा. उसने अपनी पढ़ाई का खर्च मेहनत कर निकाला.
प्रभावती ने कहा कि हमें पता नहीं है कि वह कब माओवादी संगठन में शामिल हुआ. सात साल पहले अंतिम बार उसे घर में देखा था. इसके बाद वह घर से निकला, तो फिर नहीं लौटा. रविवार को सूचना मिली कि विजेंद्र गुमला में मारा गया है. इसके बाद पटना से रांची तक ट्रेन से आये. फिर वहां से मंगलवार को गुमला पहुंचे. शव को पटना (नरौली) ले जायेंगे. वहीं अंतिम संस्कार होगा.
चार भाई -बहन में सबसे छोटा था आशीष
आशीष यादव चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था. उसने शादी भी नहीं की थी. सबसे बड़ा भाई मोक्तार यादव है. वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है. उसके बाद प्रभावती देवी व प्रवीणा देवी दो बहनें हैं.
चौथे नंबर पर आशीष यादव था. छोटा होने के कारण वह घर का सबसे दुलारा था. प्रभावती देवी ने कहा कि जब हमलोग छोटे थे, तो पिता राजनाथ यादव की मौत हो गयी थी. पिता राजनाथ कैसे मरे, इसकी जानकारी नहीं है. पिता की मौत के बाद पैतृक गांव माली बिगहा मकदमपुर, जहानाबाद को छोड़ दिया. पूरा परिवार नरौली में रहने लगा. पिता के नहीं रहने व बड़े भाई के विक्षिप्त होने पर प्रभावती ने मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण किया.
मामा ने पढ़ने के लिए प्रेरित किया : अंजु
भगिनी अंजु कुमारी ने कहा कि मेरा मामा आशीष ज्ञानी पुरुष थे. स्कूल से जब मैं घर आती थी, तो वे हमें पढ़ाते थे. अक्सर मामा बोलते थे. तुम पढ़ो, आगे बढ़ना है. बिना पढ़े आगे नहीं बढ़ा जा सकता है. सात साल पहले जब वे घर से निकले, तो फिर नहीं लौटे.
परिजनों की पहचान के बाद ही दिया शव
प्रभावती देवी, उसकी बेटी अंजु कुमारी व भतीजा ओमप्रकाश यादव शव लेने के लिए मंगलवार को गुमला पहुंचे. गुमला थाना जाकर अपने को आशीष का रिश्तेदार बताया. रात होने के कारण पुलिस ने परिजनों को गुमला के एक होटल में ठहराया. बुधवार की सुबह परिजन थाना पहुंचे. पुलिस को परिजनों ने आशीष का पुराना फोटो दिखाया. संतुष्ट होने के बाद पुलिस ने प्रभावती को शव साैंप दिया.
पुलिस ने गाड़ी की व्यवस्था की
शव को पटना ले जाने के लिए पुलिस ने गाड़ी की व्यवस्था की. गाड़ी चालक ने पांच हजार रुपये भाड़ा लिया. दिन के तीन बजे शव को लेकर परिजन पटना के लिए रवाना हुए. इस दौरान गुमला थाना प्रभारी राकेश कुमार व पालकोट थाना प्रभारी नित्यानंद महतो थे. एसडीपीओ बच्चनदेव कुजूर ने परिजनों से पूछताछ कर पूरी जानकारी ली.

Next Article

Exit mobile version