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बदनामी के दाग को धोने की जरूरत
गुमला : 14 अक्तूबर 2015 की घटना है, जब केओ कॉलेज में प्राचार्य की हत्या हुई थी. झारखंड के इतिहास में प्राचार्य की हत्या की यह पहली घटना थी. हालांकि प्रेम-प्रसंग, एकतरफा प्यार व अन्य कारणों से एक-छात्र दूसरे छात्र की हत्या करने का मामला होता रहा है. शिक्षक व छात्र आपस में भिड़ते रहे […]
गुमला : 14 अक्तूबर 2015 की घटना है, जब केओ कॉलेज में प्राचार्य की हत्या हुई थी. झारखंड के इतिहास में प्राचार्य की हत्या की यह पहली घटना थी. हालांकि प्रेम-प्रसंग, एकतरफा प्यार व अन्य कारणों से एक-छात्र दूसरे छात्र की हत्या करने का मामला होता रहा है. शिक्षक व छात्र आपस में भिड़ते रहे हैं. प्राचार्य कोबंधक बनाने का मामला भी हुआ है, लेकिन गुमला में प्राचार्य की हत्या ने डेढ़ साल पहले पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था. घटना ही ऐसी थी.
जिस शिक्षक ने शिक्षा दी, उसी शिक्षक की छात्र ने हत्या कर दी थी. ऐसे आरोपी छात्र को सजा मिल गयी है. कृष्णा ने उच्च न्यायालय में अपनी सजा के खिलाफ अपील करने का मन बनाया है. ऐसे हम गुमला केओ कॉलेज की बात करें, तो प्राचार्य हत्या के अलावा अन्य कई कारणों से कॉलेज अक्सर सुर्खियों में रहा है. यहां ऐसी कई और घटनाएं घटी है, जो कॉलेज को बदनाम करता रहा है. मारपीट की घटना घटी. नामांकन व परीक्षा फार्म भरने के समय जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत चरितार्थ होता रहा है. कॉलेज में इंटर व स्नातक के विभिन्न संकाय में करीब 10 हजार छात्र अध्ययनरत हैं. इसमें हर रोज विभिन्न संकाय के तीन से चार हजार छात्र कॉलेज पढ़ाई करने के लिए जाते थे. इस कॉलेज में सबसे अधिक दूर-दराज के छात्र पढ़ते हैं. इसमें वैसे छात्र हैं, जो मजदूरी करते हैं या फिर जिनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. लेकिन रूक-रूक कर कॉलेज का जो माहौल बनता रहा है, छात्र कॉलेज जाने से डरते रहे हैं. इसी डर के बीच हर साल छात्र किसी प्रकार यहां से डिग्री पा रहे हैं. क्योंकि यहां कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. रांची विश्वविद्यालय, रांची से संबंध यह जिले का एकमात्र प्रतिष्ठित कॉलेज है. 1960 में कॉलेज बना था. अभी यहां इंटर से बीए तक साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स और बीएड की पढ़ाई होती है. छात्र के अनुपात में शिक्षक कम हैं.
शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भी संख्या कम है. विभिन्न विषयाें के लिए शिक्षक के 62 स्वीकृत पद हैं. इसमें मात्र 25 से 26 शिक्षक ही कार्यरत हैं. अर्थात 60 प्रतिशत शिक्षकों का पद रिक्त है. वहीं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की जरूरत 55 है, लेकिन मात्र 19 से 20 कर्मचारी ही कार्यरत हैं. इतनी समस्या होने के बाद भी कॉलेज किसी प्रकार चल रहा है. ऐसे समय के साथ कॉलेज का माहौल कुछ बदल रहा है, लेकिन यहां सुरक्षा की जो मांग है, अभी तक उपलब्ध नहीं हो पायी है. पढ़ाई का माहौल न बिगड़े, इसके लिए प्रशासन को पहल करनी होगी. शिक्षकों को भी पढ़ाई के अलावा विद्यार्थियों में अनुशासन भरना होगा, तभी कॉलेज का नाम पूरे झारखंड में होगा और हम बदनामी से बचेंगे.
कृष्णा अपने को पागल करार देने में लगा था : पीपी
लोक अभियोजक (पीपी) मिनी लकड़ा ने कहा कि हत्या के विरोध में 15 लोगों ने गवाही दी है. वहीं कृष्णा के बचाव में तीन गवाही हुई है. सुनवाई के दौरान कृष्णा अपने आपको पागल करार देने में लगा हुआ था. उसने पागलपन की कहानी भी बतायी थी. पेड़ से कूदने सहित कई कहानी बतायी. उसके पागलपन की बात को गलत साबित करने के लिए उसके बीए की डिग्री की जांच करायी गयी, क्योंकि अगर कोई पागल रहता, तो बीए की डिग्री नहीं लेता. वह भी हत्या के बाद. डिग्री की जांच के बाद स्पष्ट हुआ कि कृष्णा पागल नहीं है.
ऐतिहासिक फैसला िलया गया है : सोमनाथ
हत्याकांड के गवाह प्रोफेसर सोमनाथ भगत ने कहा कि प्राचार्य हत्याकांड में मेरी भी गवाही हुई है. कानून अपना काम किया है. मेरे द्वारा भी न्यायालय में जो पूछा गया, उसका मैंने जवाब दिया है. डेढ़ वर्ष में किसी केस का फैसला डीजे द्वारा ऐतिहासिक फैसला है. इससे जनता का कानून पर विश्वास बढ़ेगा. साथ ही पूर्व प्राचार्य के परिजनों को संतुष्टि मिलेगी.
सजा के िखलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे : मनरखन
कृष्णा उरांव का वकील मनरखन गोप ने कहा कि अभी भी हमारे पास समय है. हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे. उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे. वकील ने बताया कि मेरे क्लाइंट द्वारा वकालत करने की इच्छा कोर्ट में की गयी थी. कृष्णा की मांग पर उसे जेल में पढ़ने की इजाजत मिल गयी है. वकालत की पढ़ाईके लिए कोर्ट द्वारा पुस्तक भी उपलब्ध करायी गयी है.
कॉलेज को अभी तक सुरक्षा नहीं मिली : जीतवाहन
केओ कॉलेज गुमला के वर्तमान में प्रभारी प्राचार्य जीतवाहन बड़ाइक ने कहा कि पूर्व प्राचार्य की हत्या के बाद कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज परिसर में पुलिस पिकेट स्थापना की मांग की थी, लेकिन वह सिर्फ कागज पर रह गया. पुलिस विभाग द्वारा ऐसी कोई सुरक्षा मुहैया आज तक नहीं करायी गयी है. प्रोफेसर अपनी जान जोखिम में डाल कर कॉलेज का संचालन कर रहे हैं. मैंने इसके लिए विश्वविद्यालय को भी पत्र प्रेषित किया है, लेकिन कोई पहल नहीं हुई है.
शशि भूषण की आत्मा को शांति मिलेगी : विकास
हत्याकांड के सूचक कॉलेज कर्मी विकास कुमार ने कहा कि हम सभी को न्यायालय पर पूरा विश्वास था. पुलिस द्वारा भी काफी सहयोग मिला] तभी जाकर सिर्फ डेढ़ वर्ष में हमारे प्राचार्य की हत्याकांड में सुनवाई हुई है. आरोपी कृष्णा उरांव को जिला एवं प्रधान सत्र न्यायाधीश की अदालत द्वारा सुनायी गयी आजीवन कारावास व 50 हजार का आर्थिक दंड से हमें संतोष है. आरोपी को सजा होने से शशि भूषण की आत्मा को शांति मिलेगी.
सजा होनी चाहिए थी
मृतक की पत्नी रेणु लाल ने कहा कि हम सभी को न्यायपालिका पर विश्वास था. कानून के तहत उसकी करनी की जो सजा होनी चाहिए थी. वह आज उसे मिल गयी है.
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