110 दिन में 52 लोगों की मौत, 81 घायल
लोग मर रहे हैं, घायल हो रहे हैं. इसके बावजूद लोग अपनी सुरक्षा का ख्याल नहीं रख रहे हैं. पुलिस लगातार जांच कर रही है. लेकिन गुमला के लोग हेलमेट नहीं पहन रहे हैं. दुर्जय पासवान गुमला : गुमला में हर दो-तीन दिन में एक बड़ी सड़क दुर्घटना हो रही है. लोग मर रहे हैं. […]
लोग मर रहे हैं, घायल हो रहे हैं. इसके बावजूद लोग अपनी सुरक्षा का ख्याल नहीं रख रहे हैं. पुलिस लगातार जांच कर रही है. लेकिन गुमला के लोग हेलमेट नहीं पहन रहे हैं.
दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला में हर दो-तीन दिन में एक बड़ी सड़क दुर्घटना हो रही है. लोग मर रहे हैं. घायल हो रहे हैं. हाथ-पैर भी टूट रहा है.
कई सड़क हादसे यातायात नियम का पालन नहीं करने से हो रहा है. इसके बावजूद लोग यातायात नियम व सड़क सुरक्षा का ख्याल नहीं रख रहे हैं. लोग हेलमेट पहनने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि दुर्घटनाएं हो रही है. लोग सड़कों पर मर रहे हैं. पुलिस रिपोर्ट व अखबार में छपी खबर का आंकड़ा देंखे, तो गुमला जिले के 11 प्रखंड में 74 सड़क हादसे हुए हैं. यह आंकड़ा वर्ष 2017 के जनवरी महीने से लेकर 20 अप्रैल तक की है.
इन 110 दिनों में 74 सड़क हादसे में 52 लोगों की मौत हो गयी है. जबकि 81 लोग घायल हुए हैं. जबकि 60 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हुआ है. सड़क दुर्घटनाएं सबसे अधिक गुमला व घाघरा प्रखंड में हुई है. गुमला शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में 17 हादसे हुए हैं. इसमें 14 लोगों की जान गयी है और 21 लोग घायल हुए हैं. वहीं दूसरी ओर अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड सड़क हादसे के मामले में सबसे सेफ जोन रहा है. मौत से कर रहे करतब : गुमला जिले में सबसे अधिक मोटरसाइकिल से दुर्घटना हो रही है. 70 से 75 प्रतिशत हादसे मोटरसाइकिल से होती है. इसमें वैसे ही लोगों की जान जा रही है, जो हेलमेट नहीं पहन रहे हैं या फिर बेवजह तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं. गुमला शहर में कई ऐसे युवक हैं, जो मौत से करतब कर रहे हैं. लगातार हादसे के बाद भी युवक नहीं सुधर रहे हैं. पुलिस शहर के एक छोर पर जांच करती है तो युवक दूसरे छोर से निकल कर भाग जाते हैं.
बच्चे चला रहे बाइक : गुमला में कम उम्र के बच्चे बाइक चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खास कर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी बाइक व स्कूटी लेकर स्कूल से आते-जाते हैं. कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में गाड़ी नहीं चलानी है. लेकिन गुमला में नियम-कानून को ताक में रख कर बच्चे भी तेज गति से बाइक व स्कूटी चलाते हैं. इतना होते हुए भी स्कूल के शिक्षक व अभिभावक बच्चों को सुरक्षा के संबंध में जागरूक नहीं कर रहे हैं. अगर स्कूलों में प्रार्थना के वक्त बच्चों को जागरूक किया जाये तो काफी हद तक बच्चे सड़क हादसे में सुरक्षित रहेंगे.
जरा हमारी भी सुनिये : गुमला शहर के दीपक कुमार वर्मा ने कहा, अभी गुमला में सुबह 6.30 से 11.30 बजे तक स्कूल संचालित हो रही है. सुबह 6.00 से 6.30 बजे तक बच्चे स्कूल जाते हैं. उसके बाद 11.00 से लेकर 12.00 बजे तक छुट्टी होने पर घर लौटते हैं. इस दौरान शहर में बड़ी गाड़ियां घुस जाती है. जिस कारण सड़क दुर्घटना का डर बना रहता है. बड़े मालवाहक गाड़ियों की रफ्तार शहर में घुसने के बाद भी कम नहीं होती है. उन्होंने प्रशासन से इन दो समय पर गाड़ियों की नो-इंट्री लगाने की मांग की है. अभी होता यह है कि जब स्कूल छुट्टी हो जाती है तो गाड़ियों की नो-इंट्री लगती है.
चार महीने में गुमला में हुए पांच बड़े हादसे
27 जनवरी 2017 को गुमला के सिलम घाटी में बाराती पिकअप गाड़ी पलट गयी थी. इसमें पांच बाराती मर गये थे. आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.
20 फरवरी 2017 को घाघरा थाना के देवाकी बाबाधाम पुल के नीचे ओमिनी गाड़ी गिर गयी थी. इसमें दो लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी थी.
31 मार्च 2017 को घाघरा थाना के देवाकी बाबाधाम पुल के नीचे ट्रक गिर गयी थी. इसमें बाप -बेटे की मौत हो गयी थी. तीन लोग घायल हुए थे.
10 अप्रैल 2017 को गुमला शहर में बंगाली क्लब के सामने ट्रक द्वारा कुचलने से बैंककर्मी प्रवीण बनर्जी की पत्नी प्रतिमा बनर्जी की मौत हो गयी थी.
20 अप्रैल 2017 को घाघरा में कसपोड़या मोड़ के समीप ट्रक के धक्के से झारखंड पुलिस के जवान की मौत हो गयी थी. पत्नी व दो बच्चे घायल हुए थे.
जान सभी का बराबर है. पुलिस, पत्रकार या फिर आम जनता. अगर हम हेलमेट पहन कर काफी हद तक सुरक्षित हैं तो फिर हम नियम का पालन करें और हेलमेट पहनें. कार्रवाई का मतलब है कि आप सुरक्षित रहें.
इंद्रमणि चौधरी, डीएसपी, गुमला