अनुसेवक की हत्या के बाद उग्र हुए ग्रामीण
घाघरा(गुमला) : विधायक चमरा लिंडा के अनुसेवक विजय प्रकाश भगत की हत्या के बाद जिलिंगसीरा गांव के ग्रामीण गुस्से में हैं. बुधवार को ग्रामीणों ने आरोपी के परिजनों को जम कर पीटा. कई लोगों ने भाग कर जान बचायी. आरोपी बीरबल उरांव की पत्नी को लोगों ने सबसे ज्यादा पीटा. सूचना पर थाना प्रभारी सुदामा […]
घाघरा(गुमला) : विधायक चमरा लिंडा के अनुसेवक विजय प्रकाश भगत की हत्या के बाद जिलिंगसीरा गांव के ग्रामीण गुस्से में हैं. बुधवार को ग्रामीणों ने आरोपी के परिजनों को जम कर पीटा. कई लोगों ने भाग कर जान बचायी. आरोपी बीरबल उरांव की पत्नी को लोगों ने सबसे ज्यादा पीटा.
सूचना पर थाना प्रभारी सुदामा चौधरी गांव पहुंचे आैर लोगों को शांत कराया. हालांकि अभी भी गांव का माहौल गरम है. चारों आरोपी के परिजन गांव से पलायन कर किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लिये हुए हैं. ज्ञात हो कि 28 अप्रैल को विजय का अपहरण कर लिया गया था. उस वक्त वह शादी के मंडप में था. इसके बाद पहाड़ पर ले जाकर गोली मार कर उसकी हत्या कर दी गयी थी. घटना के 18 दिन के बाद उसका नर कंकाल बिशुनपुर प्रखंड के पहाड़ से मिला. बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया. परिजन गुमला से शव लेकर जैसे ही जिलिंगसीरा गांव पहुंचे, पूरा गांव आक्रोशित हो उठा.
लोग सीधे आरोपी बीरबल के घर पहुंचे और उसकी पत्नी को पीटने लगे. यह देख दूसरे आरोपी के परिजन जंगल के रास्ते भाग निकले. मुख्य आरोपी मुकुल उरांव का परिवार पहले से ही गांव छोड़ कर भाग गया है. माहौल बिगड़ता देख समाज सेवी रवि पहान ने थाना प्रभारी सुदामा चौधरी को मामले की जानकारी फोन पर दी.
थाना प्रभारी दल बल के साथ जिलिंगिसरा गांव पहुंचे और ग्रामीणों के चंगुल से बीरबल की पत्नी को निकाला. थाना प्रभारी ने कहा कि विश्वास रखों, अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी. हत्या में अब तक छह लोगों का नाम आया है, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. बाकी बचे तीन लोगों की तलाश जारी है.
तीन आरोपियों का सामाजिक बहिष्कार
ग्रामीणों ने अपहरण व हत्या में शामिल गांव के बेले उरांव, माधव उरांव व मुकुल उरांव के पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया. जो भी ग्रामीण अपराधियों के घर से तालमेल रखेगा, उसे भी सामाजिक बहिष्कार करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना देने का फरमान जारी किया गया है.
जिस जमीन के लिए जान गयी, वहीं हुआ दफन
विजय की पत्नी व मां ने ग्रामीणों से आग्रह किया की विजय का अंतिम संस्कार श्मशान घाट में न किया जाये, बल्कि जिस जमीन के लिए उसका अपहरण कर हत्या की गयी, उसी जमीन पर उसका अंतिम संस्कार कराया जाये. इसके बाद ग्रामीणों ने विजय का अंतिम संस्कार उसकी ही जमीन पर किया.