Jharkhand News: सरकार द्वारा विश्व की आबादी को कम करने व छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा देते हुए 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया है. लेकिन, चिकित्सकों की लापरवाही के कारण यह अभियान सफल होता नहीं दिख रहा है. ऐसा ही मामला गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के बरगांव जिंदाटोली गांव में देखने को मिला. जहां नसबंदी के बाद भी महिला मां बनीं और उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया. इसको लेकर दंपती ने चिकित्सकों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
बंध्याकरण के बाद भी महिला बनीं मां
पीड़ित बुधराम महली व उसकी पत्नी आरती देवी ने बताया कि तीन बच्चे होने के बाद आरती ने रेफरल अस्पताल, सिसई में 21 जुलाई, 2022 को अपना बंध्याकरण कराया था. जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 3526 है. बंध्याकरण के बाद उसे प्रोत्साहन राशि भी नहीं दी गयी. एक माह बाद वह पति व बच्चों के साथ ईंट भट्ठे में मजदूरी करने बनारस चली गयी. इसी दौरान चार महीना तक मासिक धर्म नहीं होने पर उसे लगा कि बंध्याकरण के कारण ऐसा होता होगा. पांचवें व छठे महीने आते आते पेट दिखने लगा. सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र केराकत जौनपुर में जांच कराने पर गर्भ ठहरने की जानकारी दंपती को मिली. बंध्याकरण के बाद भी गर्भ ठहरने से दोनों हैरान थे.
दंपती ने बच्चे की भरण पोषण के लिए मुआवजा की मांग की
दंपती घर लौटना चाहते थे, लेकिन साल भर की रोटी की मजबूरी के कारण वे वहां से लौट नहीं सके. 26 मार्च, 2023 को आरती ने केराकत स्वस्थ्य केंद्र में एक बच्ची को जन्म दिया. पति बुधराम महली ने कहा कि वे लोग काफी गरीब हैं. तीन बच्चों का लालन-पालन में परेशानी को देखते हुए बंध्याकरण कराये थे. उन लोगों की थोड़ी बहुत खेतिहर जमीन है. जिसे मां झिरियो देवी के इलाज के लिए मोटी रकम में बंधक दिया गया है. 19 सदस्यीय परिवार में मां झिरियो देवी के नाम से राशन कार्ड बना है. जिसमें केवल नौ सदस्यों का नाम शामिल है. सभी पांचों भाई एक एक कमरे में अपने अपने परिवार के साथ अलग अलग रहते हैं. मजदूरी के भरोसे अपना परिवार चलाते हैं. बंध्याकरण के बाद भी बच्ची का जन्म को बुधराम व आरती ने डॉक्टर की लापरवाही बताते हुए बच्चे की भरण पोषण के लिए मुआवजा की मांग की है.