गुमला: नहीं थम रहा है सड़क हादसा, 2023 में 345 दिनों में 187 लोगों की मौत व 113 हुए घायल
हर साल सड़क हादसे का प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि सड़क सुरक्षा अभियान चल रहा है. इसके बाद भी हादसे थम नहीं रहे हैं. अधिकतर मामलों में पाया गया है कि लोग शराब का सेवन कर गाड़ी चला रहे थे.
दुर्जय पासवान/अंकित चौरसिया
गुमला जिले में सड़क हादसे थम नहीं रहे हैं. आये दिन हो रहे हादसों से गुमला की काली सड़कें खून से लाल हो रही हैं. हर सप्ताह दो तीन ऐसी घटनाएं घट रही हैं, जिसमें मौत हो रही है. प्रशासन बार-बार अपील कर रहा है वाहन धीरे चलायें, हेलमेट पहनें व सीट बेल्ट लगायें. लेकिन लोगों पर प्रशासन की अपील को कोई असर नहीं हो रहा है और हादसे हो रहे हैं. हादसे में मौत के बाद घरों में मातम व परिवार को जीवन भर का दुख मिला रहा है. अभी भी समय है, वाहन धीरे चलायें, जीवन आपकी है. खुद जीवन को सुरक्षा दें. नहीं तो हादसे में जानें जाती रहेंगी. गुमला में कई सड़क हादसे यातायात नियमों का पालन नहीं करने से हो रही है.
परिवहन विभाग की रिपोर्ट व अखबार में छपी खबर का आंकड़ा देंखे, तो जिले के 12 प्रखंडों में स्थित 18 थाना क्षेत्रों एक जनवरी 2023 से 11 दिसंबर 2023 तक 193 सड़क हादसे में 187 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 113 लोग घायल हुए हैं. वर्ष 2019 में 206 सड़क हादसे में 174 लोगों की मौत व 133 लोग घायल हुए हैं. इस प्रकार वर्ष 2020 में 189 सड़क हादसों में 165 लोगों की मौत व 88 घायल, 2021 में 223 सड़क हादसे में 203 मौत व 42 घायल, वर्ष 2022 में 183 सड़क हादसे में 149 लोगों की मौत व 70 लोग घायल हुए हैं.
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हर साल बढ़ रहा है सड़क हादसे की प्रतिशत:
हर साल सड़क हादसे का प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि सड़क सुरक्षा अभियान चल रहा है. इसके बाद भी हादसे थम नहीं रहे हैं. अधिकतर मामलों में पाया गया है कि लोग शराब का सेवन कर गाड़ी चला रहे थे. इस कारण सड़क दुर्घटना से लोगों की मौत हुई. दूसरा कारण यह है कि लोग हेलमेट का प्रयोग नहीं किये. इस वजह से सड़क हादसे में उनलोगों की जान गयी. इसके अलावा कई मामलों में तेज गति व लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण लोगों की मौत हुई हैं. हालांकि परिवहन विभाग द्वारा सड़क हादसे रोकने के लिए सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा सेल का गठन कर ब्रेथएलाइजर (शराब टेस्ट मशीन) द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच की जा रही है. समय-समय पर पुलिस के सहयोग से चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. इसके अलावा डेंजर जोन में साइन बोर्ड लगा कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद वाहनों चालकों की लापरवाही से मौत हो रही है.
युवक मौत से कर रहे करतब:
गुमला जिले में सबसे अधिक बाइक दुर्घटना हो रही हैं. 70 से 75 प्रतिशत हादसे बाइक से होती है. इसमें वैसे ही लोगों की जान जा रही है, जो हेलमेट नहीं पहन रहे हैं या फिर बेवजह तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं. गुमला में कई ऐसे युवक हैं, जो मौत से करतब कर रहे हैं. लगातार हादसे के बाद भी युवक नहीं सुधर रहे हैं. पुलिस शहर के एक छोर पर जांच करती है, तो युवक दूसरे छोर से निकल कर भाग जाते हैं. गाड़ी की रफ्तार दिखाना अब युवकों का शौक बनते जा रहा है, जो मौत का कारण भी बन रहा है. अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो एक्सीडेंट से हर दिन जानें जाती रहेंगी.
स्कूली बच्चे चला रहे बाइक:
कम उम्र के बच्चे बाइक चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खासकर छात्र बाइक व स्कूटी से स्कूल से आते-जाते हैं. कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में गाड़ी नहीं चलाना है. लेकिन गुमला में नियम कानून को ताक में रख कर बच्चे भी तेज गति से बाइक व स्कूटी चलाते हैं. इतना होते हुए भी स्कूल के शिक्षक व अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के संबंध में जागरूक नहीं कर रहे हैं. अगर स्कूलों में प्रार्थना के वक्त बच्चों को जागरूक किया जाये. तो काफी हद तक बच्चे सड़क हादसे में सुरिक्षत रहेंगे.
इंश्योरेंस व लाइसेंस नहीं, तो मुआवजा नहीं मिलेगा:
सड़क हादसे में मृतकों के आश्रितों को मुआवजा का प्रावधान है. परंतु अधिकांश मामलों में लाइसेंस नहीं रहता है या तो गाड़ी का इश्योरेंस फेल रहता है. इस कारण मुआवजा नहीं मिल पाता. पर्सनल इंश्योरेंस भी कई लोगों को नहीं रहता है, जबकि महज 475 रुपये की राशि से पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस लेने से चालक व गाड़ी के ओनर का 15 लाख रुपये का कवर मिल जाता है.
दिसंबर व जनवरी माह में होते हैं अधिक हादसे:
गुमला में दिसंबर व जनवरी माह में सबसे अधिक हादसे होते हैं. इसका मुख्य कारण नववर्ष की खुमारी व पर्व त्योहार हैं. पर्व व नववर्ष के नाम पर लोग हड़िया व दारू का सेवन करते हैं. इसके बाद गाड़ी चलाते हैं, जिससे हादसे होते हैं. गुमला में अब नववर्ष को लेकर अभी से घूमने फिरने का दौर शुरू हो गया है. इसलिए जरूरत है. प्रशासन कागजातों की जगह तेज व शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर ज्यादा नजर रखें. इससे हादसे रूकेंगे. क्योंकि, प्रशासन कागजात जांच के फेर में तेज गति, कम उम्र व शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को छोड़ देती है.
हादसे में मौत के छह कारण
शराब पीकर गाड़ी चलाना
हेलमेट नहीं पहनना
अधिक तेज गाड़ी चलाना
लापरवाही से गाड़ी चलाना
ट्रिपल लोड बाइक चलाना
चार पहिया वाहन में क्षमता से अधिक सवारी बैठाना
वर्ष 2017 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 236
मौत : 140
घायल : 176
वर्ष 2018 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 241
मौत : 212
घायल : 153
वर्ष 2019 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 206
मौत : 174
घायल : 133
वर्ष 2020 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 189
मौत : 165
घायलो : 88
वर्ष 2021 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 223
मौत : 203
घायल : 42
वर्ष 2022 की रिपोर्ट
सड़क हादसे : 183
मौत : 149
घायल : 70
2023 की रिपोर्ट (11 दिसंबर तक)
सड़क हादसे : 193
मौत : 187
घायलों : 113
वर्ष 2023 में हुई घटनाएं
माह दुर्घटना मौत घायल
जनवरी 15 16 03
फरवरी 20 24 04
मार्च 22 17 06
अप्रैल 15 14 05
मई 20 25 23
जून 13 15 10
जुलाई 17 15 08
अगस्त 10 06 10
सितंबर 14 12 04
अक्टूबर 15 16 04
नवंबर 22 21 09
दिसंबर 10 06 27
(11 दिसंबर 2023 तक की रिपोर्ट है)