गुमला : भारत-पाक बॉर्डर में जम्मू कश्मीर में एक साल पहले गुमला के लाल संतोष गोप शहीद हो गये थे. 12 अक्तूबर 2021 को शहीद संतोष गोप की द्वितीय पुण्यतिथि है. बसिया प्रखंड के टेंगरा गांव निवासी शहीद संतोष गोप ने देश के लिए जान दी. परंतु, शहीद का गांव आज विकास को तड़प रहा है. प्रशासन ने भी शहीद के गांव से मुंह मोड़ लिया है. यही वजह है. महीनों से खराब जलमीनार की अभी तक मरम्मत नहीं हुई. कई घरों में शौचालय नहीं है.
गांव में चलने लायक सड़क नहीं है. 85 लाख रुपये से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क बनी थी. परंतु यह सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. सड़क उखड़ कर खत्म हो गयी. अब सड़क की जगह मिटटी व बोल्डर पत्थर है. यहां तक कि सरकार व प्रशासन ने शहीद की प्रतिमा स्थापित करने का वादा किया था. परंतु दो साल में भी शहीद की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी है. आज भी माता सारो देवी व पिता जीतू गोप अपने शहीद बेटे की यादों में जी रहे हैं. परंतु माता-पिता की मांग की शहीद की प्रतिमा स्थापित हो. अभी तक इसपर पहल नहीं हुई.
दो साल पहले 12 अक्तूबर 2019 को जब संतोष गोप शहीद हुए तो प्रशासन ने गांव के विकास का वादा किया था. लोगों को सपने दिखाये गये. परंतु अब दो साल हो गया. प्रशासनिक अधिकारी गांव को झांकने तक नहीं गये. यहां तक कि प्रखंड प्रशासन भी गांव की दुर्दशा की जानकारी नहीं ली. आज भी शहीद के गांव तक जाने वाली सड़क नहीं बनी है. न ही शहीद के घर घुसने वाली सड़क बनायी गयी है. गांव के 60 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं बना है. पानी व बिजली की समस्या भी बनी हुई है. हालांकि वर्षो पूर्व दो सोलर पानी टंकी बनी है. परंतु उससे पूरे गांव का प्यास बुझाना मुश्किल है. हालांकि इसमें टंकी अभी खराब है और एक टंकी से पानी रिसाच होता है.
शहीद के पिता जीतू गोप व मां सारो देवी ने कहा कि मेरे शहीद बेटे संतोष गोप की प्रतिमा स्थापित हो. पहले प्रशासन ने वादा किया था कि प्रतिमा बनेगी. परंतु अभी तक प्रतिमा स्थापित करने की पहल नहीं की गयी है. हमारे गांव का भी विकास नहीं हुआ है. पानी, सड़क, शौचालय की समस्या गांव में बनी हुई है. माता पिता ने चिंता प्रकट किया कि शहादत दिवस पर प्रशासन श्रद्धांजलि देने भी नहीं आते हैं. समाजसेवी ईश्वर गोप ने कहा कि शहीद के परिवार में किसी सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं मिली है.