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नक्सलियों के गढ़ गोसाइकोना में सात दशक बाद बिखरी विकास की रोशनी, अब बिजली की रोशनी में पढ़ रहे बच्चे

Jharkhand News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड की पीबो पंचायत के जंगल व पहाड़ों के बीच गोसाईकोना गांव है. आजादी के सात दशक बाद यहां बिजली पहुंची है. इससे ग्रामीण काफी खुश हैं. सभी के घर में बिजली कनेक्शन दिया गया है. गांव में बिजली पहुंची तो गांव के लोगों ने मोबाइल का उपयोग करना शुरू कर दिया है. अब हर हाथ में मोबाइल है और बिजली की रोशनी में बच्चे पढ़ रहे हैं. नक्सलवाद के बादल छंटते ही विकास की रोशनी बिखरने लगी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2021 6:37 AM
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Jharkhand News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड की पीबो पंचायत के जंगल व पहाड़ों के बीच गोसाईकोना गांव है. आजादी के सात दशक बाद यहां बिजली पहुंची है. इससे ग्रामीण काफी खुश हैं. सभी के घर में बिजली कनेक्शन दिया गया है. गांव में बिजली पहुंची तो गांव के लोगों ने मोबाइल का उपयोग करना शुरू कर दिया है. अब हर हाथ में मोबाइल है और बिजली की रोशनी में बच्चे पढ़ रहे हैं. नक्सलवाद के बादल छंटते ही विकास की रोशनी बिखरने लगी है.

पहले कुछ ही लोगों के पास मोबाइल था. जिनके पास मोबाइल था. वे मोबाइल चार्ज कराने रायडीह, सिलम या गुमला आते थे. चार्ज कराने के एवज में 10 रुपये लगता था. परंतु अब ग्रामीण अपने ही गांव की बिजली से मोबाइल चार्ज कर रहे हैं. गांव में बिजली पहुंचने से सबसे ज्यादा खुशी बच्चों को है. अब बच्चे बिजली की रोशनी में पढ़ाई करते हैं. वहीं कई घरों में टीवी भी खरीदा गया है.

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गोसाइकोना व केउंदडाड़ में 42 परिवार हैं. यह पूरा गांव प्रधान बहुल है. गांव के चारों तरफ पहाड़ व जंगल हैं. गांव तक जाने के लिए कच्ची सड़क व पगडंडी है. आज से पांच साल पहले तक यह पूरा इलाका उग्रवाद प्रभावित था. भाकपा माओवादी के नक्सली सक्रिय थे. पीएलएफआई के उग्रवादियों की भी सक्रियता रहती थी. खूंखार नक्सली मंगल नगेशिया भी अपने दस्ते के साथ चलता था. यह क्षेत्र 2000 से 2015 तक नक्सल से जूझता रहा. नक्सलवाद के कारण ही इस क्षेत्र का विकास रूका हुआ है. जैसे ही नक्सल के बादल छंट रहे हैं. गांव के विकास की उम्मीद जगी है. इसी उम्मीद की पहली कड़ी में गांव में बिजली पहुंची है.

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नक्सलियों के गढ़ गोसाइकोना में सात दशक बाद बिखरी विकास की रोशनी, अब बिजली की रोशनी में पढ़ रहे बच्चे 2

गांव के युवक जीतवाहन प्रधान, मदन प्रधान, कमल प्रधान व इंदु प्रधान ने कहा कि दो माह पहले तक हमारे गांव में बिजली नहीं थी. दो माह पहले जब बिजली पोल व तार लगाकर बिजली सप्लाई शुरू की गयी तो हमें बहुत खुशी हुई. जब बिजली नहीं थी, तो परेशानी होती थी. मोबाइल चार्ज कराने व अन्य कम के लिए गुमला व रायडीह जाना पड़ता था, परंतु अब बिजली से कई काम आसान हो गया है. अभी स्कूल छुट्टी है. पढ़ाई के साथ मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं.

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ग्रामीण धनी प्रधान कहते हैं कि दो माह पहले गांव में बिजली पहुंची है. मैंने अपने घर में कनेक्शन लिया है. मीटर लगाया गया है. अब रात में घर में बिजली जलती है तो खुशी होती है. बच्चे बिजली की रोशनी में पढ़ रहे हैं.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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