Jharkhand News (गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में कोचागानी गांव है. यह गांव चारों ओर घने जंगल व ऊंचे पहाड़ से घिरा है. गुमला शहर से इस गांव की दूरी करीब 85 किमी है. आजादी के 7 दशक गुजरने के बाद भी गांव का विकास नहीं हुआ है. सरकार के कुछ योजना गांव में संचालित है. लेकिन, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. ऐसे प्रशासन की माने, तो नक्सल क्षेत्र होने के कारण कोचागानी गांव का विकास नहीं हो सका है. लेकिन, अब तो भाकपा माओवादी का सबसे बड़ा नक्सली बुद्धेश्वर उरांव मारा गया है. उम्मीद है कि प्रशासन कोचागानी गांव के विकास की पहल करेगी.
गांव के लोगों में भी नक्सली बुद्धेश्वर के मारे जाने के बाद विकास की उम्मीद जगी है. ऐसे गांव की वर्तमान स्थिति पर गौर करें, तो इस गांव के 60 परिवार की जिंदगी कष्टों में गुजर रही है. गांव में ना चलने लायक सड़क है. ना रहने योग्य घर है. गांव तक जाने के लिए लकड़ी से बनी पुलिया है. रास्ता ऐसा कि अगर संभलकर नहीं चले, तो गिरकर घायल हो जायेंगे. गांव में बिजली और पानी का भी संकट. ऐसे गांव में सोलर जलमीनार व सोलर लाइट लगा है, लेकिन महीनों पहले यह खराब हो गया. जिसकी मरम्मत आज तक नहीं हुई. ग्रामीणों का आरोप है कि बारडीह पंचायत की मुखिया भी गांव के विकास पर ध्यान नहीं देती है. वह अक्सर गुमला में रहती है. गांव नहीं आती है.
कोचागानी गांव शहरी जिंदगी से एकदम दूर है. यही वजह है. यहां जागरूकता की कमी है. इसलिए कुछ घरों में शौचालय बना. लेकिन, उसका उपयोग ग्रामीण नहीं करते हैं, बल्कि जंगल की सूखी लकड़ियों को शौचालय के कमरे में रखा गया है. कुछ शौचालय तो बिना उपयोग के ध्वस्त हो गया. गांव में मनरेगा से एक कुआं बन रहा था, लेकिन बारिश के कारण वह ध्वस्त हो गया.
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चैनपुर प्रखंड के उपप्रमुख सुशील दीपक मिंज ने गांव का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों से गांव की समस्या जाना. ग्रामीणों ने बताया कि यहां सड़क, पुलिया, पानी, बिजली व पक्का घर की समस्या है. एक भी परिवार को पीएम आवास का लाभ नहीं मिला है. समस्या सुनने के बाद श्री मिंज ने कहा कि गांव की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रशासन से मुलाकात करेंगे. गांव की जो भी समस्या है. एक-एक कर सभी समस्याओं को दूर किया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.