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गुमला: जमाना फोर-जी का लेकिन आज भी विकास की बाट जोह रहा है असुर जनजाति बहुल वाला ये गांव

घाघरा प्रखंड में तेंदार पाकरकोना गांव है. यह घोर उग्रवाद प्रभावित है. जंगल व पहाड़ों के बीच गांव है. इस गांव में विलुप्त प्राय: आदिम असुर जनजाति के लोग रहते हैं.

घाघरा प्रखंड में तेंदार पाकरकोना गांव है. यह घोर उग्रवाद प्रभावित है. जंगल व पहाड़ों के बीच गांव है. इस गांव में विलुप्त प्राय: आदिम असुर जनजाति के लोग रहते हैं. गांव में 25 घर है. परंतु आज भी इस गांव को सरकारी सुविधा सही तरीके से नहीं मिली है. आज जमाना फोर-जी का है. लोग चांद-तारों में पहुंच रहे हैं.

नित्य नये प्रयोग व अविष्कार हो रहा है. परंतु इस गांव में बिजली भगवान भरोसे रहती है. जिससे गांव के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. गांव में मोबाइल नेटवर्क है. कुछ लोगों के पास मोबाइल भी है. परंतु मोबाइल चार्ज करने के लिए अधिकांश समय बिजली नहीं रहती है. ये लोग किसी दूसरे गांव या पंचायत मुख्यालय में आकर मोबाइल चार्ज कराते हैं. इसके एवज में पांच रुपये लगता है.

गांव तक जाने के लिए सड़क है. कुछ दूर पगडंडी भी है. परंतु यहां पक्की सड़क नहीं बनी है. कहने को यहां विलुप्त जनजाति रहते हैं. परंतु आईटीडीए विभाग से इस जनजाति को जो सरकारी सुविधा मिलनी चाहिए. वह नहीं मिल रही है. कुछ गिने-चुने घर पक्का है. परंतु अधिकांश लोग कच्ची मिटटी के घर में रहते हैं. बरसात में परेशानी होती है. तेंदार में पुल नहीं है. गांव में भी नाला है. बरसात में लोगों को आवागमन में दिक्कत होती है. ग्रामीण बताते हैं कि तेंदार में पुल बना था. परंतु वर्षो पहले नया पुल ध्वस्त हो गया. इसके बाद से पुल नहीं बना है.

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