डुमरी प्रखंड स्थित उदनी पंचायत के हिसरी गांव में आंगनबाड़ी केंद्र से छोटे ननिहाल बच्चों (एक से चार वर्ष) को वर्षों से पोषाहार नहीं मिल रहा है. क्योंकि यहां के आंगनबाड़ी केंद्र सात वर्षों से बंद है. सरकार की ओर से दिये जाने वाला पोषाहार छोटे-छोटे बच्चों को नहीं मिल रहा जो केंद्र की दुर्दशा को दर्शाता है. इस संबंध में गांव के लिविन टोप्पो, अनिता तिग्गा, दोमनिक एक्का कटरीना एक्का, लुकस टोप्पो ने बताया कि गांव का आंगनबाड़ी केंद्र सात सालों से बंद है. केंद्र के बंद और देख-रेख के अभाव में भवन के चारों ओर घास, झाड़ियां उग आयी है. भवन जर्जर हो गया है.
सांप बिच्छू का अड्डा बन गया है. केंद्र के समीप गोबर फेंका जाता है. इतने दिनों से यहां के छोटे-छोटे ननिहालों को प्रारंभिक शिक्षा और पोषाहार नहीं मिल रहा है. आगे बताया कि केंद्र की सेविका बीएलओ के काम के समय गांव आती है. इसके अलावा केंद्र कभी नहीं आती है. वह महुआडाड़ में रहती हैं. कार्यालय से पोषाहार का उठाव होता है कि नहीं हमें जानकारी नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि हमलोग जानना चाहते हैं. इस केंद्र में सरकार द्वारा बच्चों को दिये जाने वाला पोषाहार कहां जाता है.
गांव में विकास के नाम पर एक मध्य विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, जलमीनार, शौचालय, चबूतरा बना है. गांव में सभी जाति के 125 परिवार है. आबादी लगभग 550 है. पेयजल के लिए चार जलमीनार लगी है. जिसमें से सभी गांव वाले पानी के लिए निर्भर हैं. वहीं एक वर्ष पूर्व एक जलमीनार की टंकी फट गयी है. सभी जलमीनार से जल निकासी के लिए नाली की जरूरत है. गांव की इतनी बड़ी आबादी 10 वर्ष से अधिक समय से अंधेरे में रहने को विवश है.
गांव में बिजली खंभा और तार लगा है. शुरुआत के दिनों में 15 दिनों तक बिजली आयी. उसके बाद लंबे अरसे से बिजली नहीं आयी है. राशन दुकान से केरोसिन तेल एक लीटर मिलता है. जिससे हमलोग बच्चों की पढ़ाई के लिए दिया जलाये या चूल्हा में लकड़ी जलाने के काम में लाये समझ में नहीं आता है.
बीडीओ सह सीडीपीओ एकता वर्मा ने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी.