शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का आकलन और कुपोषण मुक्त के लिए आगंनबाड़ी सेविकाओं को मिला प्रशिक्षण
Jharkhand news, Gumla news : गुमला जिला अंतर्गत बसिया के बाल विकास परियोजना कार्यालय में सेविकाओं को कुपोषण मुक्त एवं शिशुओं की शारीरिक वृद्धि का आकलन संबंधी 2 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस संबंध में सेविकाओं को विस्तार से हर पहलुओं की जानकारी दी गयी, ताकि कार्य करने में परेशानी न हो. साथ ही बच्चों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त करने पर विशेष जोर दिया गया.
Jharkhand news, Gumla news : बसिया (गुमला) : गुमला जिला अंतर्गत बसिया के बाल विकास परियोजना कार्यालय में सेविकाओं को कुपोषण मुक्त एवं शिशुओं की शारीरिक वृद्धि का आकलन संबंधी 2 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस संबंध में सेविकाओं को विस्तार से हर पहलुओं की जानकारी दी गयी, ताकि कार्य करने में परेशानी न हो. साथ ही बच्चों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त करने पर विशेष जोर दिया गया.
इस संबंध में सेंटर फॉर कैटलाईजिंग चेंज के प्रशिक्षण समन्वयक ललन साहू ने प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपने- अपने आंगनबाड़ी केंद्र में शून्य दिन से पांच साल के सभी बच्चों के शारीरिक वृद्धि का सही तरीके से आकलन कर सके.
वहीं, प्रखंड विकास पदाधिकारी सह प्रखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रवींद्र कुमार गुप्ता ने उद्देश्यों पर जानकारी देते हुए कहा कि आज भी हमारे गावों में बहुत सारे बचे कुपोषण के शिकार हैं, जिन्हें हमें सही आकलन और सही सलाह के माध्यम से कुपोषण मुक्त करना है और कुपोषण के चक्र को तोड़ना है.
सेंटर फॉर कैटलाईजिंग चेंज के प्रखंड समन्वयक प्रकाश सारंगी और महिला प्रवेक्षक बेला रचना मिंज व डेजी कुजूर द्वारा शून्य दिन से पांच साल के बच्चों में शारीरिक वृद्धि के आकलन के संबंध में जानकारी दिया गया. बताया गया कि आपके पोषक क्षेत्र के जो भी शून्य दिन से 5 वर्ष के शिशु हैं उनका वजन एक नियमित अंतराल में लेना है. साथ ही उस वजन को रजिस्टर में दर्ज करना है.
इंफैंटोमीटर और इसटीडोमीटर से करें लंबाई की गणना
इसके अलावा 2 साल तक की शिशु की लंबाई इन्फैंटोमीटर से हर 3 माह के अंतराल में करना है तथा जो शिशु 2 साल से ऊपर का है उसकी लंबाई की गणना इसटीडोमीटर से हर 6 माह के अंतराल पर करना है, जिससे हम पता लगा पायेंगे कि शिशु का उम्र के अनुसार शारीरिक वृद्धि हो रहा है या नहीं. इस गणना के अनुसार ग्रोथ चार्ट से मिलान कर देखना है कि शिशु पोषित है या कुपोषित. शिशु अगर कुपोषित है, तो उसकी मां और शिशु दोनों को कुपोषण उपचार केंद्र ले जाने को प्रेरित करना है और सही खान- पान की सलाह देनी है और उस शिशु का नियमित अंतराल में आकलन भी करना है. मौके पर सी 3 इंडिया के प्रखंड समन्वयक प्रकाश सारंगी, बेला रचना मिंज, डेजी कुजूर का महत्वपूर्ण योगदान रहा. कार्यशाला में पंथा, इटम और कोनबीर पंचायत की सेविका उपस्थित थीं.
Posted By : Samir Ranjan.