पुरातत्व विभाग ने गुमला के टांगीनाथ धाम का किया निरीक्षण, बोले- पुरातात्विक धरोहर रखे जाएंगे सुरक्षित

गुमला के टांगीनाथ धाम का पुरातात्विक विभाग ने सर्वेक्षण किया. इस मौके पर पुरातत्वविद ने टांगीनाथ धाम जैसी धरोहरों को सुरक्षित रखने पर जोर दिया. साथ ही कहा कि पुरातात्विक महत्व के स्थल एवं स्मारकों को चिह्नित कर भविष्य की कार्ययोजना बनाने की बात कही.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2022 9:42 PM

Jharkhand News: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की उत्खनन शाखा, पटना की टीम ने गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित बाबा टांगीनाथ धाम पुरातात्विक स्थल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के उपरांत उत्खनन शाखा पटना के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ राजेंद्र देहूरी ने पुरातात्विक स्थल की ऐतिहासिकता और उपलब्ध प्रमाणों तथा अवशेषों को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की. इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर के संदर्भ में व्याख्यायित व महत्वपूर्ण बताया.

पुरातात्विक महत्व के स्थल एवं स्मारकों को चिह्नित कर बनेगी भविष्य की कार्ययोजना

उन्होंने कहा की टीम का उद्देश्य बाबा टांगीनाथ धाम के आसपास स्थित अन्य पुरातात्विक महत्व के स्थल एवं स्मारकों को चिह्नित कर भविष्य की कार्ययोजना बनाना है. वहीं, डॉ राजेंद्र देहूरी ने टांगीनाथ धाम परिसर में प्रदर्शित मूर्तियों के संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु इन मूर्तियों को शेड निर्मित कर रखे जाने की बात कही. इस प्राचीन दुर्लभ मूर्तियों को निरंतर होने वाली वर्षा, धूप आदि से बचाने हेतु शेड के निर्माण कर उसके अंदर मूर्तियों को रखा जाना अति आवश्यक है. ताकि वर्षा के कारण मूर्तियों में लगने वाले काई, डस्ट से मूर्तियां क्षतिग्रस्त न हों.

Also Read: Jharkhand Political Crisis: महागठबंधन ने राज्यपाल से की फैसला सार्वजनिक करने की मांग

टांगीनाथ धाम में विराजमान हैं त्रिशूल

वहीं, टीम के अन्य सदस्यों ने कहा की टांगीनाथ धाम की प्राचीनता व ऐतिहासिकता उपलब्ध प्रमाणों से स्पष्ट है और झारखंड प्रदेश की ये एक अमूल्य विरासत है जो कि तत्कालीन कला स्थापत्य के चरमोत्कर्ष का महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है. उन्होंने बताया की बाबा टांगीनाथ धाम में विराजमान लौह निर्मित त्रिशूल अपने युग की लौह तकनीक के उन्नति कलाओं का परिचायक है. झारखंड प्रदेश में स्थित यह धार्मिक व पुरातात्विक स्थल में पर्यटन की अनंत संभावनाएं छिपी हैं. जिसे सुरक्षित, संरक्षित व विस्तार कर पर्यटन का महत्पूर्ण केन्द्र बनाया जा सकता है.


रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

Next Article

Exit mobile version