झारखंड में जब सूर्य के चारों तरफ दिखने लगी रेड व ब्लू कलर रिंग, मोबाइल कैमरे में अनोखे नजारे को कैद करने की मची होड़, देखिए 22 डिग्री सर्कुलर हलो की Exclusive PICS
22 degree circular halo, Jharkhand News, रांची/गुमला/बोकारो/पलामू/जमशेदपुर/गिरिडीह/पश्चिमी सिंहभूम/हजारीबाग (संजय सागर) : झारखंड में रांची, हजारीबाग, गुमला, बोकारो, पलामू समेत कई अन्य जिलों में आज सूर्य का अद्भुत नजारा देखा गया. आसमान में दिखा ये अनोखा नजारा एक खगोलीय घटना है. इसके तहत सूर्य के चारों तरफ सतरंगी वलय देखा गया. सूर्य के चारों ओर लाल व नीला रंग का रिंग देखा गया. खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहा जाता है. लोगों के बीच ये कौतुहल का विषय बना रहा. कई लोगों ने इस अनोखे पल को अपने मोबाइल कैमरे से कैद कर लिया.
22 degree circular halo, Jharkhand News, रांची/गुमला/बोकारो/पलामू/जमशेदपुर/गिरिडीह/पश्चिमी सिंहभूम/हजारीबाग (संजय सागर) : झारखंड में रांची, हजारीबाग, गुमला, बोकारो, पलामू समेत कई अन्य जिलों में आज सूर्य का अद्भुत नजारा देखा गया. आसमान में दिखा ये अनोखा नजारा एक खगोलीय घटना है. इसके तहत सूर्य के चारों तरफ सतरंगी वलय देखा गया. सूर्य के चारों ओर लाल व नीला रंग का रिंग देखा गया. खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहा जाता है. लोगों के बीच ये कौतुहल का विषय बना रहा. कई लोगों ने इस अनोखे पल को अपने मोबाइल कैमरे से कैद कर लिया.
खगोल विज्ञान के अनुसार सूर्य और कभी-कभार चंद्रमा के ’22 डिग्री सर्कुलर हेलो’ को मून रिंग या विंटर हेलो के नाम से जाना जाता है. एमपी बिरला प्लैनेटेरियम के एक सीनियर शोधकर्ता ने की मानें, तो ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें सिरस क्लाउड (वैसे बादल जिनकी परत काफी पतली और महीन होती है और जिनका निर्माण प्राय: 18 हजार फीट ऊपर होता है) में मौजूद हेक्सागोनल आइस क्रिस्टल्स से विक्षेपित हो जाती हैं.
इस तरह के बादल सामान्य तौर पर तब बनते हैं, जब पृथ्वी की सतह से पांच से दस किलोमीटर ऊंचाई पर जल-वाष्प बर्फ के क्रिस्टलों में जम जाती है. उनके मुताबिक ठंडे देशों में यह आम घटनाक्रम है. हालांकि, भारत जैसे देशों में यह दुर्लभ है. ये घटना कब होगी, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. इससे पहले भी इस तरह की घटना झारखंड में देखी गयी है.
हजारीबाग के बड़कागांव में अनायास आज सोमवार की सुबह 11:00 बजे से आसमान में सूर्य के चारों ओर इंद्रधनुष का घेरा देख कर लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली. कई लोग इसे दैविक गति मानने लगे. कोरोना की इस विपदा के वक्त इसे लेकर क्षेत्र में कई तरह की चर्चाएं होने लगीं.
खगोल विज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञान के अनुसार जब वातावरण में धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, तब उसका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है. सूरज की किरणों के टकराने पर धूल कण के सम्पर्क में आने वाली नमी किरणों को बिखरा कर एक इंद्रधनुष का घेरा बनाती है. इस तरह का इंद्रधनुष बनने का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है.
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सूर्य का ऐसा नजारा दिखा.
झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर में 22 डिग्री सर्कुल हलो का ये रूप दिखा.
झारखंड के पलामू जिले में सूर्य का ये रूप दिखा.
Posted By : Guru Swarup Mishra