Jharkhand News: हत्या, दुष्कर्म, डकैती, आर्म्स एक्ट सहित अन्य अपराध कर रिमांड होम (Remand Home) पहुंचे बालबंदी अब सुधर रहे हैं. शिक्षा, खेल, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी पर फोकस है. दो बालबंदी अग्निवीर की तैयारी कर रहे हैं. कुछ बालबंदी डांस और गीत में रुचि रखते हैं. वे हर रोज अभ्यास करते हैं. कुछ बालबंदी सुंदर पेंटिंग करते हैं. अपने कलाकारी का बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी संपन्न हुए मैट्रिक व इंटर में आधा दर्जन छात्र सेकेंड व फर्स्ट डिविजन से पास किये हैं. गुमला शहर से सटे सिलम घाटी में रिमांड होम है जहां गुमला और लोहरदगा जिला के 85 बालबंदी हैं. ये बालबंदी अलग-अलग आपराधिक मामलों में रिमांड होम पहुंचे हैं. लेकिन, प्रशासन की पहल के बाद अब ये सभी बालबंदी सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं.
हथियार नहीं, शिक्षा व खेल से आगे बढ़ना है : बालबंदी
बता दें कि दो साल पहले तक रिमांड होम के अंदर आये दिन बालबंदी आपस में लड़ते थे. एक बालबंदी की मौत भी हो गयी थी. हर सप्ताह व महीने में दीवार फांदकर बालबंदी भाग जाते थे. कुछ ऐसे बालबंदी थे, जो बार-बार अपराध कर रिमांड होम आते थे. परंतु, प्रशासन ने इन बालबंदियों को शिक्षा, खेल, कला, मनोरंजन से जोड़ने का काम किया. जिसके बाद अब रिमांड होम में बदलाव आया है. मारपीट बंद हो गयी. अब कोई बालबंदी नहीं भागता है. दिनभर किसी न किसी काम या गतिविधि से बालबंदी जुड़े रहते हैं. बालबंदियों ने कहा कि अब उन्हें घर से भी बेहतर माहौल रिमांड होम के अंदर मिल रहा है. खाने-पीने से लेकर पढ़ाई, खेल व अन्य मनोरंजन सहित अलग-अलग गतिविधि रिमांड होम में होते रहती है. बंदियों ने कहा कि अब उनका लक्ष्य कुछ अलग करने का है. जिससे वे बुलंदी को छू सके. कई बंदियों ने सेना, पुलिस, प्रशासनिक क्षेत्र व टीचर बनने की बातें कही है.
इनकी बदौलत आ रहा बदलाव
रिमांड होम अधीक्षक अविनाश कुमार गिरी, शिक्षिका सोनी प्रतिभा टोप्पो, राजेश कुमार सोनी, परामर्शी तहसीन तरन्नुम, गृहपति रीना कुमारी, अकाउंटेंट संगीता कुमारी, परीविक्षा पदाधिकारी कन्हैया सोनी की बदौलत रिमांड होम में बदलाव आ रहा है. वहीं समय-समय पर किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य सुषमा देवी व तागरेन पन्ना भी बच्चों को प्रेरित करते हैं. गुमला डीसी सुशांत गौरव, डीएसडब्ल्यूओ सीता पुष्पा सहित न्यायिक पदाधिकारी भी समय-समय पर बच्चों से मिलकर उनकी गतिविधि की जानकारी लेते हैं और शिक्षा, खेल, डांस व अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरित करते हैं.
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इस संबंध में रिमांड होम के अधीक्षक अविनाश कुमार गिरी ने कहा कि बालबंदी बीए, इंटर व मैट्रिक परीक्षा में पास किये हैं. अभिरूचि के अनुसार छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. ये बच्चे कल तक गुमनामी के अंधेरे में थे. परंतु, अब ये अपनी अलग पहचान बनाने में लगे हुए हैं. प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है. मैं खुद नित्य नये-नये प्रयोग कर बंदियों के मन में पॉजिटिव बात डाल रहा हूं.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.