भरनो (गुमला), सुनील रवि. झारखंड राज्य के दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र में कई ऐसी परंपरा है, जो समय के साथ खत्म हो रही है. परंतु, कुछ ऐसी भी परंपरा है, जो आज भी जीवित है और परिवार को एक सूत्र में बांधे हुए है. इन्हीं परंपराओं में एक है भाई भीख (बहन द्वारा भीख मांगने) की परंपरा. आज भी दक्षिणी छोटानागपुर के गुमला जिले में यह परंपरा जीवित है. इस परंपरा ने भाई-बहन को प्यार के अटूट बंधन में बांध रखा है.
भाइयों के लिए बहनें मांगती हैं भीख
भाई भीख में परंपरा है कि भाइयों के लिए बहनें भीख मांगती हैं. इसके बाद स्वादिष्ट पकवान बनाकर भाई को अपने घर आमंत्रित करती हैं. भाई की पूजा करने के बाद उसे पकवान परोसा जाता है. वहीं, भाई भी अपनी बहन को मनपसंद उपहार भेंट करता है. तीन साल में एक बार ही भाई भीख मनाया जाता है.
गुमला में शुरू हो गयी है भाई भीख की परंपरा
गुमला जिले में भाई भीख की परंपरा के तीन साल पूरा होने के बाद वर्ष 2023 के फरवरी में यह पर्व गांव-गांव में शुरू हो गयी है. बहनें इस पर्व को लेकर उत्साह में हैं. हालांकि कुछ गांवों में भाई भीख शुरू हो गयी है, तो कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां अभी इसकी तैयारी ही चल रही है.
भरनो प्रखंड के गांवों में भाई भीख शुरू
भरनो प्रखंड के विभिन्न गांवों में इन दिनों भाई भीख पूजा की परंपरा शुरू हो गयी है. प्रतिदिन किसी न किसी गांव में यह पूजा की जा रही है. कुछ लोग इसे अंधविश्वास मान रहे हैं. परंतु सरना सनातन धर्म के अधिकतर घरों की महिलाएं इस परंपरा को आज भी निभा रही हैं.
क्या है परंपरा
इस परंपरा के तहत बहन अपने भाई के घर से भीख के रूप में चावल, दाल, पैसे सहित अन्य खाद्य सामग्री मांग कर लाती हैं और दूसरे दिन पकवान इत्यादि बनाकर भाई व भाभी को घर बुलाकर खिलाती हैं. साथ ही भाई का चरण पूजन करती हैं. भाई भी अपनी बहन के लिए साड़ी व शृंगार के सामान लेकर आता है. यह प्रत्येक तीन साल में एक बार होता है. इस पूजा को करने वाली महिलाओं ने कहा कि पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है. अपने भाई की सलामती के लिए भाई भीख पूजा करते हैं.