झारखंड : अरबों रुपये खर्च, फिर भी खेत सूखे, अपरशंख जलाशय से किसानों को सिंचाई का नहीं मिल रहा लाभ

अपरशंख जलाशय गुमला जिले की सबसे बड़ी सिंचाई योजना है. इसके बावजूद खेत तक पानी पहुंचाने की योजना फेल साबित हुई है. पौने दो अरब रुपये खर्च हुए, फिर भी खेत सूखे हैं. जलाशय में अब सिर्फ मछली पालन होता है . उसका भी लाभ कुछ ही लोगों को मिलता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2023 5:51 AM

गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर-डुमरी प्रखंड के नवगाई में स्थित अपरशंख जलाशय जिले की सबसे बड़ी सिंचाई योजना है. इसको बनाने में करीब पौने दो अरब रुपये लगे हैं, परंतु किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इस जलाशय से बगल के खेत तक भी सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंचता है. वहीं, जलाशय बनाने में गुमला के कई इंजीनियर मालामाल हो गये हैं. अगर इसकी जांच हो, तो अपरशंख जलाशय सबसे बड़ी लूट की योजना साबित होगी. हालांकि, अपरशंख जलाशय योजना का मुद्दा विधानसभा सत्र के दौरान उठा है.

विधानसभा में अपरशंख जलाशय का उठा मुद्दा

गुमला विधायक भूषण तिर्की ने अपरशंख जलाशय का मुद्दा विधानसभा में उठाते हुए इस योजना को खाव-पकाऊ बताया है. साथ ही झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से इस योजना में खर्च हुई राशि व जलाशय से मिल रहे लाभ की जांच कराने की मांग की है. विधायक ने कहा है कि जलाशय को बनाने में के लिए अरबों रुपये खर्च हो गये, परंतु, इसका लाभ हमारे क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा है. खेती के लिए योजना फेल हुई, तो अब कुछ किसानों को मछली मारने के लिए दे दिया गया. परंतु, मछली मारने में गिने-चुने लोगों को ही लाभ मिल रहा है.

20 लाख रुपये से शुरू हुई थी योजना

1983-1984 में अपरशंख जलाशय योजना की शुरुआत हुई थी. उस समय योजना की लागत 20 लाख रुपये थे. परंतु, आज के डेट में जलाशय बनाने में पौने दो अरब से अधिक खर्च हो गये. फिर भी अपरशंख जलाशय के कई काम पूरे नहीं हुए हैं. जल संसाधन विभाग का पूरा तंत्र इस योजना में लगा था. कई इंजीनियर काम कर रहे थे. किसी प्रकार योजना पूरी हुई, पर आज भी इस इलाके के किसान सिंचाई के अभाव में पलायन कर रहे हैं. गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है. विभाग की मानें तो योजना को पूरा कराने में परेशानी झेलनी पड़ी है. नक्सली बाधक बने हुए थे. लेवी की मांग को लेकर नक्सली हर समय काम में बाधा डालते रहते थे. नक्सलियों के भय से इंजीनियर योजना स्थल पर नहीं जाते थे. बिना इंजीनियर की उपस्थिति में काम जैसे-तैसे पूरा हुआ है. जलाशय के नहर में बरसात में पानी नजर आता है. अन्य दिनों में कुछ पानी रहता है, परंतु, जलाशय से पानी निकलने के बाद नहर में कुछ दूर जाकर पानी सूख जाता है. नहर में जहां तक पानी रहता है, उसके बगल के खेत में कुछ किसान खेती करते हैं.

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अपरशंख जलाशय से सिंचाई की व्यवस्था के लिए सीएम से फिर मिलेंगे : विधायक

इस संबंध में गुमला विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि संयुक्त बिहार के समय जलाशय बना है. मैंने विधानसभा में मुद्दा उठाया है. मेरा प्रयास रहेगा कि अपरशंख में जितना काम हुआ है. कौन-कौन इंजीनियर काम कराये हैं, इसकी जांच हो. इसके लिए मैं दोबारा सीएम से मिलूंगा.

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