Loading election data...

झारखंड में बिरसा हरित ग्राम व दीदी बाड़ी योजना से ग्रामीणों की बदल रही जिंदगी, मनरेगा बन रहा वरदान

झारखंड में मनरेगा के तहत बिरसा हरित ग्राम योजना और दीदी-बाड़ी योजना से ग्रामीण आत्मनिर्भर बन रहे हैं. ग्रामीणों के लिए जहां मनरेगा वरदान साबित हो रहा है, वहीं सरकार के विभिन्न योजनाओं से ग्रामीणों की जिंदगी में बदलाव और खुशहाल लौट रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2021 9:02 PM

Jharkhand News (रांची) : झारखंड सरकार की योजनाओं से जुड़कर राज्य के हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी खुशहाल बनायी है. उनकी जागरूकता और थोड़ी सी मेहनत से न सिर्फ उन्होंने गरीबी दूर की, बल्कि दूसरे लोगों के लिए मिसाल बनकर उभरे हैं. मनरेगा के तहत दीदी-बाड़ी योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना जैसी योजनाओं से जुड़कर खुद की पहचान बनायी और अपने घर में समृद्धि लायी. रीमा देवी और स्नेहलता पांडेय जैसी महिलाओं के लिए दीदी बाड़ी योजना वरदान साबित हुई है. वहीं, रामू पांडेय ने बिरसा बागवानी योजना से अपनी गरीबी दूर की है, जबकि गिरिधारी सिंह ने बिरसा ग्राम योजना से अपनी जिंदगी संवारी.

दीदी-बाड़ी योजना से सब्जियां उगाकर मशहूर हुईं रीमा देवी

गढ़वा के बिर्बंधा पंचायत निवासी रीमा देवी ने दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा. उन्होंने इस योजना के तहत अपनी 5 डिसमिल जमीन पर बैंगन, पालक, गाजर मूली, मिर्च, कद्दू और करेला की सब्जी लगायी. इसमें 20 किलो बैंगन, 25 किलो पालक, 10 किलो खीरा, 20 किलो गाजर, 5 किलो मिर्च, 10 किलो करेले का उत्पादन हुआ. रीमा देवी कहती हैं कि दीदी बाड़ी योजना से जुड़ने से पहले वो सब्जियां खरीद कर खाती थीं, जिसमें हर दिन 50 से 70 रुपये खर्च होते थे. जब खुद दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर सब्जियों का उत्पादन किया, तब न सिर्फ बचत हुई बल्कि स्वास्थ्य में भी सुधार आया. वहीं, किसान मेला में जब उन्होंने अपनी उपजाई सब्जियों की प्रदर्शनी की, तो वहां भी खूब सराहना हुई.

स्नेहलता की उपजाई सब्जियों से भाई का शुगर हुआ कंट्रोल

गढ़वा के ही सोह गांव की स्नेहलता पांडेय ने दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर अपनी जमीन पर 30 किलो पालक, 25 किलो खीरा, 45 किलो गाजर, 25 किलो लौकी, 20 किलो करेला, 20 किलो मूली और 25 किलो टमाटर का उत्पादन किया. स्नेहलता बताती हैं कि घर में पर्याप्त सब्जियां पैदा होने से वो इनकी बिक्री भी कर पाती हैं. उन्होंने कहा कि उनके बड़े भाई शुगर के मरीज थे, जिन्हें खाने में काफी परहेज करना पड़ता है. दीदी बाड़ी योजना से घर में उपजाई सब्जियों के सेवन से उनका शुगर काफी नियंत्रित हुआ है. अब डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने दवा लेना भी बंद कर दिया है.

Also Read: देवघर, गोड्डा व दुमका में बनेंगे 13 हाइवे विलेज, हर 50 किमी पर यात्रियों के लिए विकसित होंगी जनसुविधाएं
सफल किसानों में शामिल हुआ संतरी देवी का नाम

संतरा देवी गढ़वा की करवा पंचायत की रहने वाली हैं. उन्होंने दीदी बाड़ी योजना के तहत अपने खेत में 60 किलो टमाटर, 100 किलो बैंगन, 80 किलो बंदगोभी, 8 किलो मिर्च और 30 किलो भिंडी का उत्पादन किया. संतरा देवी अपनी मेहनत से इलाके के सफल किसानों में गिनी जाने लगी हैं. जैविक कीटनाशक और गोबर खाद का प्रयोग कर उन्होंने कम लागत में अच्छी फसल की पैदावार की. गांव की दूसरी महिलाएं भी अब उनके मार्गदर्शन में दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर सब्जियां लगा रही हैं.

बिरसा बागवानी योजना ने बदली रामू पांडेय की जिंदगी

रामू पांडेय ने बिरसा बागवानी योजना से जुड़कर सफलता पायी है. गढ़वा की कुंडी पंचायत के रहने वाले रामू ने अपनी एक एकड़ जमीन पर 112 पौधे लगाये हैं, जिसमें 10 शीशम, 20 सागवान, 20 गम्हर और 32 करंज के पेड़ हैं. रामू ने इंटर क्रॉपिंग के माध्यम से उसी जमीन पर आलू, सरसों और राई भी लगाये हैं. इसके उत्पादन से वो अपनी आजीविका चला रहे हैं. उन्होंने अबतक 3 क्विंटल आलू, 40 किलो सरसों और 20 किलो राई का उत्पादन किया है.

हरित ग्राम योजना से जल्द खत्म होने वाली है गिरिधारी की गरीबी

गिरिधारी सिंह भवनाथपुर की मकरी पंचायत के रहने वाले हैं. डेढ़ साल पहले वे हरित ग्राम योजना का लाभ लेने के लिए एक स्वयं सहायता समूह से जुड़े. पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, लेकिन अब बहुत जल्द उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने वाली है. इस योजना से जुड़कर उन्होंने 80 आम, 12 अमरूद, 8 नींबू, 5 कटहल और दो काजू के पौधे लगाये हैं. ये पौधे बहुत जल्द फल देने वाले हैं.

Also Read: साहिबगंज में लोगों की समस्याओं से रूबरू हुए CM हेमंत सोरेन, बोले- हर वक्त आपके साथ खड़ी है राज्य सरकार
अंजुम और सोनिया ने सुधारी आर्थिक हालत, सरकार की भी कर रहीं मदद

बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी बनकर रामगढ़ की मगनपुर पंचायत की अंजुम आरा ने लॉकडाउन के समय 50 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया है. अंजुम अपनी पंचायत के साथ आसपास की पंचायतों के लोगों को भी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं. वहीं, खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड की सोनिया कंसारी भी अपनी पंचायत के लोगों तक निरंतर पैसा जमा-निकासी से लेकर बीमा तक की सभी सेवाएं घर-घर जाकर प्रदान कर रही हैं. वह हर महीने 25-30 लाख रुपये तक का ट्रांजेक्शन कर लेती हैं.

लाभुकों के जीवन में आ रहा सकारात्मक बदलाव : मनरेगा आयुक्त

इस संबंध में मनरेगा आयुक्त बी राजेश्वरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित कर लाभुकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है. मनरेगा योजना वर्तमान समय में ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया है. दीदी बाड़ी योजना से लाभुकों के जीवन में बदलाव आ रहा है.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version